गर्भावस्था में कब और कितने अल्ट्रासाउंड किए जाते हैं
आजकल प्रेगनेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड करना एक फैशन बन गया है.
प्रेगनेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड कब करना चाहिए और
क्या अल्ट्रासाउंड से किसी प्रकार की तकलीफ होती है
इस विषय में बात करेंगे --
एक स्वस्थ प्रेगनेंसी के दौरान तीन अल्ट्रासाउंड करने बताए जाते हैं.
पहला स्कैन 11 से लेकर 13 सप्ताह के बीच में क्या जाता है जिसे एनटी स्कैन भी कहा जाता है.
दूसरे स्कैन अट्ठारह से लेकर 20 सप्ताह के बीच में किया जाता है जिससे अल्ट्रासाउंड लेवल 2 के नाम से भी जाना जाता है.
तीसरा स्कैन 36 से लेकर 40 हफ्ते के बीच में किया जाता है यह अंतिम स्कैन होता है इसके अंदर शिशु की स्थिति का पता लगाया जाता है जिससे डिलीवरी के समय किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े.
कभी-कभी डॉक्टर आवश्यकता पड़ने पर 28 से लेकर 32 सप्ताह के बीच में भी स्कैन करते हैं अगर आवश्यकता पड़ती है तो इसमें भ्रूण के विकास और सेहत के संबंध में जांच की जाती है.
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अगर महिला की उम्र 35 साल से ऊपर होती है क्योंकि इस वक्त महिला की गर्भ क्षमता कमजोर हो जाती है तो ऐसी स्थिति में बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर 3 से ज्यादा स्कैन करना बताया जाता है.
अगर आप के गर्भ में जुड़वा बच्चे होते हैं तो भी अल्ट्रासाउंड 3 से ज्यादा करने की आवश्यकता पड़ जाती है.
अगर शिशु का विकास नियमित तरीके से नहीं हो रहा है तब भी डॉक्टर 3 से ज्यादा स्कैन अर्थात अल्ट्रासाउंड करने की सलाह दे सकते हैं.
अगर महिला को या शिशु को किसी भी प्रकार की बीमारी डिडक्ट होती है तब भी 3 से ज्यादा अल्ट्रासाउंड किए जा सकते हैं.
अल्ट्रासाउंड करने में किसी भी प्रकार के दर्द की कोई गुंजाइश नहीं होती है लेकिन अल्ट्रासाउंड होते समय महिला को असहज स्थिति का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एक काफी स्ट्रांग तरंगे शरीर के रास्ते गुजरती हैं और अल्ट्रासाउंड के समय महिला को पेशाब रोक कर रखना होता है इस वजह से भी असहज स्थिति बनती है
प्रेगनेंसी के दौरान अल्ट्रासाउंड कब करना चाहिए और
क्या अल्ट्रासाउंड से किसी प्रकार की तकलीफ होती है
इस विषय में बात करेंगे --
गर्भावस्था में कितने अल्ट्रासाउंड किए जाते हैं
एक स्वस्थ प्रेगनेंसी के दौरान तीन अल्ट्रासाउंड करने बताए जाते हैं.पहला स्कैन 11 से लेकर 13 सप्ताह के बीच में क्या जाता है जिसे एनटी स्कैन भी कहा जाता है.
दूसरे स्कैन अट्ठारह से लेकर 20 सप्ताह के बीच में किया जाता है जिससे अल्ट्रासाउंड लेवल 2 के नाम से भी जाना जाता है.
तीसरा स्कैन 36 से लेकर 40 हफ्ते के बीच में किया जाता है यह अंतिम स्कैन होता है इसके अंदर शिशु की स्थिति का पता लगाया जाता है जिससे डिलीवरी के समय किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना ना करना पड़े.
कभी-कभी डॉक्टर आवश्यकता पड़ने पर 28 से लेकर 32 सप्ताह के बीच में भी स्कैन करते हैं अगर आवश्यकता पड़ती है तो इसमें भ्रूण के विकास और सेहत के संबंध में जांच की जाती है.
इन्हें भी पढ़ें : चाइना में बच्चे का जेंडर पता करने के कुछ प्राचीन तरीके
इन्हें भी पढ़ें : प्रेग्नेंट हो जाने के बाद नारियल द्वारा पुत्र प्राप्ति का तरीका
इन्हें भी पढ़ें : बच्चे में विकलांगता आने के कारण
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ज्यादा अल्ट्रासाउंड की आवश्यकता कब पड़ती है
कभी-कभी डॉक्टर 3 से भी ज्यादा स्कैन करने की सलाह देते हैं उसमें कुछ विशेष परिस्थितियां होती हैं जैसे कि ---अगर महिला की उम्र 35 साल से ऊपर होती है क्योंकि इस वक्त महिला की गर्भ क्षमता कमजोर हो जाती है तो ऐसी स्थिति में बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर 3 से ज्यादा स्कैन करना बताया जाता है.
अगर आप के गर्भ में जुड़वा बच्चे होते हैं तो भी अल्ट्रासाउंड 3 से ज्यादा करने की आवश्यकता पड़ जाती है.
अगर शिशु का विकास नियमित तरीके से नहीं हो रहा है तब भी डॉक्टर 3 से ज्यादा स्कैन अर्थात अल्ट्रासाउंड करने की सलाह दे सकते हैं.
अगर महिला को या शिशु को किसी भी प्रकार की बीमारी डिडक्ट होती है तब भी 3 से ज्यादा अल्ट्रासाउंड किए जा सकते हैं.
अल्ट्रासाउंड करने में किसी भी प्रकार के दर्द की कोई गुंजाइश नहीं होती है लेकिन अल्ट्रासाउंड होते समय महिला को असहज स्थिति का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि एक काफी स्ट्रांग तरंगे शरीर के रास्ते गुजरती हैं और अल्ट्रासाउंड के समय महिला को पेशाब रोक कर रखना होता है इस वजह से भी असहज स्थिति बनती है
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