प्रेगनेंसी के दौरान जुड़वा बच्चे गर्भ में होने की संभावना बहुत कम होती है. खासकर भारत के अंदर तो बहुत कम यह संभावना देखी जाती है. इसलिए बहुत से दंपत्ति को जुड़वा बच्चे की इच्छा भी होती है. अगर किसी गर्भवती महिला के गर्भ में जुड़वा बच्चे हैं, तो उसे किन-किन प्रकार के समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, इस पर एक चिंतन इस आर्टिकल के माध्यम से पेश कर रहे हैं.

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गर्भ में जुड़वा बच्चे होने की वजह से कुछ समस्याएं होने का डर रहता है अगर महिला के गर्भ में जुड़वा बच्चे हैं तो प्रसव समय से पहले होने की काफी संभावना होती है. 5 में से 3 महिलाओं को समय से पहले ही प्रसव हो जाता है. डिलीवरी समय से पहले हो जाने पर बच्चों का विकास भी ठीक ढंग से नहीं हो पाता है और बाहर ही उपक्रमों द्वारा बच्चों के विकास को कराया जाता है जिसमें काफी खर्च भी आता है.
बहुत ज्यादा पोषण की जरूरत होती है क्योंकि एक गर्भ में 2 बच्चे होते हैं इस वजह से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या लगातार बनी रह सकती है कभी-कभी इसका असर बच्चों पर भी पड़ जाता है.
जुड़वा बच्चे होने पर थोड़ा सा ज्यादा ही सावधानी रखने की आवश्यकता होती है कभी-कभी गर्भपात की समस्या का सामना भी करना पड़ जाता है.
गर्भावस्था के दौरान अगर जुड़वा बच्चे घर में हो तो महिलाओं को अक्सर एनीमिया की शिकायत रहती ही है.
जुड़वा गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को मधुमेह और बच्चों में जन्म दोष की संभावना भी सामान्य अवस्था की तुलना में ज्यादा होती है.
कभी-कभी बच्चों के विकास में भी बाधा आती है इसलिए महिलाओं के शरीर का स्वस्थ होना अत्यधिक आवश्यक होता है.
महिला के शरीर को 2 की जगह 3 जिंदगी यों को पालने पहुंचने की आवश्यकता होती है. इस वजह से महिला के शरीर में हर फैसिलिटी तीन हिस्सों में बांट कर कार्य करती है. इसलिए सुरक्षा भी कम रहती है.पोषण भी कम होने की संभावना रहती है. खतरा भी उतना ही बढ़ जाता है .














