प्रेगनेंसी में गिरना, यह ऐसा टॉपिक है, जिस पर कोई भी बात भी नहीं करना चाहेगा. कभी गलती से महिला प्रेगनेंसी के समय गिर जाती है, तो सारा का सारा दोष महिला पर आ जाता है, कि उसने ध्यान रखा है.
दोस्तों 70 से 80% मामलों में महिला की गलती ही नहीं होती है . प्रेग्नेंसी के समय शारीरिक परिवर्तन और हार्मोन परिवर्तन के कुछ ऐसे कारण होते हैं. जिनकी वजह से महिला गिर सकती है. आपको उन्हें जानना बहुत जरूरी है. जिन्हें आप जान जाएंगे और थोड़ा सा ध्यान रखेंगे तो गिरने की संभावना 50% से भी ज्यादा घट जाएगी.
और हर बार गिरने से शिशु को नुकसान ही होता है. यह भी आवश्यक नहीं है. अलग-अलग महीने में गिरने के अलग अलग effect होते हैं. तो दोस्तों हम सभी विषय पर बात करेंगे. आप हमारे साथ अंत तक बने रहिए .
हमारे आज के टॉपिक हैं
गर्भावस्था के दौरान महिला कब गिर सकती है
गर्भावस्था के दौरान गिरने से गिरने से क्या नुकसान हो सकता है
गर्भावस्था में गिरने से बचने के लिए कौन-कौन सी बातों का ध्यान रखें
गिरने से संबंधित समाज में प्रचलित कुछ मिथक जो अक्सर गलत ही साबित होते हैं लेकिन हमें सही लगते हैं
गर्भावस्था के दौरान कब गिरना खतरनाक होता है
पहली तिमाही में गिरना,
दूसरी तिमाही में गिरना,
तीसरी तिमाही में गिरने में क्या-क्या प्लस माइनस पॉइंट होते हैं.
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अक्सर महिला कब गिरती है
कुछ कारण है. जिनके वजह से महिला प्रेगनेंसी के दौरान गिर सकती है.
- गर्भावस्था के दौरान जब प्रेगनेंसी के दौरान वजन बढ़ने से महिला की ग्रेविटी का केंद्र बदल जाता है. जिसकी वजह से बैलेंस जहां पर पहले बनता था .उससे अलग बनता है. अगर महिला इस बैलेंस को नहीं भाप पाती है, तो वह यहां गिर सकती है.
- प्रेगनेंसी के दृष्टिकोण से महिला के शरीर में एक हारमोंस उत्पन्न होता है. जिसे कहते हैं रिलैक्सिंन हारमोंस. यह प्रसव की क्रिया को आसान बनाने के लिए कार्य करता है. इसके कारण शरीर की मांसपेशियां, हड्डियां, जोड़ सभी आराम की अवस्था में चले जाते हैं. इसकी वजह से कभी कभी चलने की क्रिया प्रभावित हो जाती है और महिला गिर जाती है .
- अगर महिला के शरीर में ब्लड शुगर का लेवल कम हो जाए या ब्लड प्रेशर कम हो जाए या दोनों एक साथ हो जाए, तो महिला को बेहोशी आ जाती है. ऐसी अवस्था में भी महिला गिर सकती है.
- प्रेगनेंसी के दौरान अक्सर देखा गया है, कि महिला के शरीर में सूजन की समस्या नजर आ जाती है. कभी-कभी पैरों में काफी ज्यादा सूजन आ जाती है. जिससे पैर महसूस होना बंद हो सकते हैं, और महिला गिर सकती है.
- गर्भावस्था को संभालने के लिए शरीर को बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. इस कारण महिला थकावट का शिकार हो सकती है. थकावट के समय महिला के दिमाग और शरीर में आपसी संतुलन बिगड़ जाता है. तो महिला गिर सकती है.
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गिरना कब खतरनाक हो सकता है
गर्भावस्था के दौरान महिला कई प्रकार से गिर सकती है. यह जरूरी नहीं कि हर प्रकार से गिरने पर गर्भ को नुकसान ही पहुंचे. अगर महिला इस प्रकार से गिरती है, कि उसके भूण को चोट लगे, तो ही गिरना नुकसानदायक होता है.
पहली तिमाही के दौरान गिरना
पहली तिमाही में बच्चे का आकार बहुत ज्यादा छोटा होता है, और वह मां के गर्भ में एमनीओटिक द्रव के अंदर रहता है.
यह द्रव उसके लिए एक गद्दे का काम करता है, और उसकी सुरक्षा करता है. अधिकतर मामलों में महिला अगर गिरती है, तो उनको किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं आती है.
जब तक कि महिला को कोई गहरी चोट ना लगे या गिरने की तीव्रता बहुत ज्यादा अधिक हो तभी नुकसान होता है.
वैसे इस चरण में गिरने की आशंका काफी कम होती है. क्योंकि महिला का बैलेंस सही रहता है. सेंटर ऑफ ग्रेविटी अपनी जगह पर होती है.
दूसरी तिमाही के दौरान गिरना
पहली तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही में गिरने की आशंका ज्यादा बढ़ जाती है. इस वक्त तक भ्रूण काफी विकसित हो चुका होता है. महिला अपने पैर के अगले हिस्से को नहीं देख पाती है.
इस दौरान महिला की सेंटर ऑफ ग्रेविटी भी बदलने लगती है. जिसका आभास उसे नहीं रहता है. और महिला गिर सकती है. इस दौरान गिरने से गर्भस्थ शिशु को नुकसान हो सकता है.
अगर इस दौरान आप गिर जाती हैं और आपको उस दिन लेट आराम करना चाहिए. अगर गिरने के बाद आपको पेट में दर्द की समस्या, रक्त स्राव की समस्या या बच्चा महसूस नहीं हो रहा है. इस प्रकार की समस्या नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए.
तीसरी तिमाही के दौरान गिरना
तीसरी तिमाही के दौरान महिला का सेंटर ऑफ ग्रेविटी पॉइंट बदल चुका होता है. एक तरह से महिला को संभलकर चलने की आवश्यकता होती है.
इस वक्त तक बच्चा काफी विकसित हो चुका होता है. लगभग लगभग अपने आप को कंप्लीट कर चुका होता है. ऐसे में जरा सी भी चोट जरा सी भी लचक बच्चे के लिए काफी घातक हो सकती है, इसलिए आपको काफी ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता होती है.
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गिरने से क्या नुकसान हो सकता है
कुछ समस्याएं गिरने के बाद गर्भावस्था के दौरान नजर आ सकती है
- जिनमें समय से पूर्व प्रसव पीड़ा का अनुभव होना.
- गर्भाशय की थैली भी फट सकती है.
- आपके गिरने के तरीके से भ्रूण को चोट भी लग सकती है.
- भ्रूण को मानसिक क्षति हो सकती है.
- अगर चोट कुछ अधिक गहरी लग गई है तो यह गर्भ में बच्चे की जान का कारण बन सकती है.
ध्यान रखने योग्य बातें
प्रेगनेंसी के दौरान गिरना ठीक नहीं माना जाता है. इससे बचने के लिए आपको कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना काफी आवश्यक होता है.
- आपको सबसे पहले तो वजन बिल्कुल भी नहीं उठाने चाहिए.
- सीढ़ियां उतरने में सावधानी रखनी चाहिए रेलिंग पकड़कर धीरे धीरे सीढ़ियां उतरे.
- आपको अपना बैलेंस पॉइंट पता होना चाहिए.
- आपको ऐसी चप्पलों को पहनना चाहिए, जिनकी हिलना हो बैलेंस अच्छा हो. साथ ही साथ आपको ऐसी चप्पले बिल्कुल भी नहीं पहननी चाहिए जो पानी में फिसलती हो.
- आप अपने बाथरूम को अपने घर के फर्श को सूखा रखें, जिससे उस पर फिसलन ना हो.
- आपको थकान हो चक्कर या कमजोरी जैसी समस्या नजर आए, तो तुरंत ऐसे स्थान पर अपने आप को सुरक्षित करें. गिरने से बचने के लिए तुरंत बैठ जाएं.
- आपको झुकने से बचना है.
- आपको किसी भी ऊंचाई पर चढ़ने से भी बचना है.
अगर आप इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखेंगे तो आप गिरने से काफी हद तक सुरक्षित रहेंगे.
गिरने को लेकर हमारे समाज में कुछ मिथक प्रचलित हैं —
जैसे कि गर्भावस्था में गिरने से बच्चे की मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो जाता है. तो हम आपको यह बताना चाहेंगे इसके कई सारे कारण हो सकते हैं. गिरने पर जब भ्रूण को किसी विशेष जगह पर चोट लगेगी यह तभी होता है.
एक मिथक यह भी प्रचलित है. गिरने से बच्चे की मौत हो जाती है. यह बिल्कुल अवधारणा है. ऐसा कुछ भी नहीं होता है. यह स्थिति बहुत ज्यादा क्रिटिकल कंडीशन में बनती है. मां के गर्भ में भी बच्चे की सुरक्षा के काफी इंतजार होते हैं.
एक मिथक यह भी है, कि अगर गर्भवती गिर जाती है तो उसका प्रसव बाधित हो जाता है. हम यह नहीं कह रहे हैं कि ऐसा नहीं होता है, लेकिन यह हर एक स्थिति में नहीं होता, यह गिरने की स्थिति पर ही निर्भर करता है.
डॉक्टरों के अनुसार गिरने और प्राकृतिक प्रसव के बीच कोई स्पष्ट संबंध नहीं है.