दोस्तों बांझपन कोई स्थाई समस्या हो यह जरूरी नहीं है.कई मामलों में देखा गया है, बांझपन अस्थाई होता है. थोड़े से इलाज के बाद या सावधानी रखने से दूर हो जाता है.
दोस्तों किसी भी महिला में बांझपन होने के अनगिनत कारण हो सकते हैं. कुछ मुख्य कारण जो कि देखने में आते हैं, जैसे कि —
शारीरिक कारण जिसे मेडिकल साइंस के द्वारा एक्सप्लेन किया जाता है .
मानसिक कारण,
महिला की उम्र के कारण,
महिला के लाइफस्टाइल के कारण,
महिला की शारीरिक एनर्जी डिस्टर्ब होने के कारण
हम मानसिक कारण जिससे कि बांझपन आने का खतरा होता है उन पर चर्चा करेंगे.
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दोस्तो मानसिक कारण बांझपन में कोई सीधा-सीधा महत्वपूर्ण रोल नहीं निभाते हैं, लेकिन अगर कोई समस्या हो जाती है, दूसरी समस्या जिसके कारण बांझपन की समस्या महिलाओं में आने लगती है,
अगर मानसिक कारण भी साथ साथ में एक्जिस्ट करता है, तो वह उस समस्या को एक्सीलरेट करने का कार्य करता है उस समस्या को बढ़ा देता है.
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मां बाप बनना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है. इस जिम्मेदारी को उठाने के लिए दंपत्ति का मस्तिष्क एकदम से तैयार नहीं होता है. अगर व्यक्ति दंपत्ति ज्वाइंट फैमिली में रह रहे हो तो इतनी परेशानी नहीं आती है. बच्चा पल जाता है.
इसमें परिवार के दूसरे लोग भी आपकी सहायता करते हैं, लेकिन आजकल भारत में एकल परिवार का चलन बढ़ रहा है. शादी के बाद दंपत्ति, फैमिली से अलग रहकर अपनी फैमिली शुरू करते हैं.
ऐसे में उनके परिवार में किसी भी बच्चे का आगमन उनके डेली लाइफ को बिगाड़ कर रख देता है, अचानक से काफी सारी जिम्मेदारी उनके ऊपर आ जाती है, और उनका लाइफ़स्टाइल भी बदल जाता है, साथ ही साथ उस बच्चे के लालन पोषण के लिए धन की आवश्यकता भी काफी ज्यादा होती है. और एकदम से एक पार्टिकुलर अमाउंट की आवश्यकता होने लगती है.
इन सब परेशानियों के कारण माता के मन में कहीं ना कहीं समय पर बच्चा ना चाहने की इच्छा बलवती होती जाती है .
अगर धन संबंधी परेशानी ना हो तो भी महिलाएं आजकल जिम्मेदारी से बचने के लिए बच्चा ना चाहने की इच्छा मन में रखती है.
अगर महिला वर्किंग हो और जॉब पर जाती है, तो ऐसी स्थिति में भी दंपत्ति बच्चा नहीं चाहते है,
और अनजाने में ही महिला अपने मस्तिष्क को यह आदेश देती रहती हैं, कि उन्हें बेबी नहीं चाहिए. क्योंकि शरीर के संचालन का सारा कार्य मस्तिष्क का ही होता है, तुम्हें शरीर के अंदर उन सभी कार्य को बढ़ावा देने का कार्य करता है जिससे कि बच्चा ना हो.
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और कभी-कभी फ्यूचर में भी अगर दंपत्ति बच्चा चाहे तो शरीर में ऐसे परिवर्तन आ चुके होते हैं जिसके कारण बाद में बच्चा होने में परेशानी होने लगती है.
तनाव यह भी अपने आप में बहुत बड़ा कारण होता है प्रेगनेंसी को रोकने के लिए, इसका डायरेक्ट इफेक्ट तो देखने में नहीं आता है लेकिन इनडायरेक्टली है काफी परेशान कर सकता है.
अगर महिला को किसी भी प्रकार का तनाव है चाहे वह तनाव उसके पारिवारिक परिस्थितियों को लेकर है या अगर वह जॉब करती है तो उसे अपनी जॉब को लेकर अत्यधिक टेंशन है तो यह टेंशन महिला को बांजपन का शिकार बना सकती है.
आप किसी होम्योपैथिक डॉक्टर से इस टॉपिक को लेकर डिस्कशन कर सकते हैं, टेंशन के कारण मस्तिष्क पर अत्यधिक प्रेशर पड़ने लगता है.
इस प्रेशर को रिलीज करने के लिए माइंड शरीर में रोग की उत्पत्ति कर देता है.
क्योंकि मस्तिष्क को तनाव के प्रेशर को कम करने के लिए, तनाव के कारण जो मस्तिष्क में विचारों की श्रंखला दौड़ रही होती है.
उसमें जो एनर्जी खर्च हो रही है, उस एनर्जी को बचाने के लिए मस्तिष्क को कुछ ना कुछ तो करना ही होता है. सीधे-सीधे वह आपको सोचने से तो नहीं रोक सकता ना ही वह आपको आपके परिवार से दूर कर सकता है, और ना ही आपको आपकी जॉब से दूर कर सकता है.
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उसका कंट्रोल आपके शरीर की गतिविधियों पर है और वह शरीर आपका है तो वह आपके शरीर में रोग पैदा कर देता है ताकि आप उन सब चीजों से दूर हो जाओ जो कि आपको टेंशन दे रहे हैं.
तो कभी-कभी शरीर में ऐसी रोग पैदा हो जाते हैं जो कि आपकी प्रेगनेंसी के लिए खतरनाक हो सकते हैं.
प्रेगनेंसी एक बड़ी प्रक्रिया होती है इसमें शरीर के प्रत्येक अंग का कुछ ना कुछ रोल अवश्य होता है.
अगर आपका शरीर कमजोर होगा तो आपको कभी भी प्रेगनेंसी ठहर नहीं पाएगी क्योंकि प्रेगनेंसी की सुरक्षा आपके प्रतिरक्षा प्रणाली को करनी होती है अगर आपके शरीर में कोई दूसरा रोग है तो प्रतिरक्षा प्रणाली को उसको भी ठीक करना होता है तो कार्य बट जाता है जिसके कारण गर्भ असुरक्षित रह जाता है.
कभी-कभी शरीर की इतनी क्षमता नहीं होती है किसी दूसरे रोग के कारण कि वह गर्भ का लालन-पालन कर पाए तो ऐसी परिस्थिति में गर्भपात हो जाता है.
टेंशन के द्वारा जो रोग शरीर में तड़पते हैं वह काफी खतरनाक होते हैं.
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तनाव के कारण व्यक्ति के खानपान पर भी असर पड़ता है वह बिगड़ जाता है तो भी शरीर में असंतुलन की स्थिति बन जाती है जिससे कई प्रकार के रोग पनप जाते हैं.
अत्यधिक टेंशन लेने से शरीर की उम्र कम हो जाती है असमय बुढ़ापा आ जाता है और बुढ़ापे में शरीर की सारी गतिविधियां सारे कार्य शिथिल पड़ जाते हैं और बच्चे पैदा करना यंग लोगों का कार्य है बुढ़ापे में यह कार्य नहीं होता है.
सीधे तौर पर तो नहीं लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से मानसिक स्थिति भी प्रेगनेंसी को रोकने का बड़ा कारण है.
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