महिलाओं के पेट पर प्रेगनेंसी के 22 वें 23 वें हफ्ते में जो काली लाइन बनने लगती है उसके संबंध में चर्चा करने जा रहे हैं.
हम बात करने वाले हैं कि ---
काली रेखा क्या होती है
इसके क्या कारण होते हैं
गर्भावस्था के दौरान यह लाइन कब दिखाई पड़ती है
क्या काली लाइन को रोका जा सकता है.
हम बात करने वाले हैं कि ---
काली रेखा क्या होती है
इसके क्या कारण होते हैं
गर्भावस्था के दौरान यह लाइन कब दिखाई पड़ती है
क्या काली लाइन को रोका जा सकता है.
काली रेखा (लिनिया नाइग्रा) क्या है
गर्भावस्था के दौरान पेट पर काली लाइन बन्ना हाइपरपिगमेंटेशन के कारण होता है. इसके कारण पेट के बीचोंबीच एक काली लाइन उभर आती है. यह दूसरी तिमाही में नजर आती है. और यह रेखा जांग की हड्डियों से लेकर नाभि तक बल्कि उस से ऊपर तक जाती है. कुछ मामलों में तो यह रेखा महिला की छाती तक भी जा सकती है. लेकिन प्रसव के कुछ महीनों बाद ही रे धीरे यह लाइन गायब हो जाती है.
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गैस एसिडिटी कब्ज से लेकर इस लाइन के पीछे भी एस्ट्रोजन हार्मोन का ही हाथ होता है .और हार्मोन की अधिकता के कारण शरीर में मेलेनिन का निर्माण ज्यादा होने लगता है.
जिसके कारण शरीर में मेलेनिन का जमाव अधिक होकर त्वचा का रंग बदलने लगता है.डार्क गहरा होने लगता है . इसके आगे चलकर त्वचा पर काली लाइन यानी कि लिनिया नाइग्रा नजर आने लगती है.
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हम आपको बता दें कि इसे बनने से रोक पाना संभव तो नहीं है क्योंकि प्रेगनेंसी हारमोंस की वजह से यह बनती है , हम बाहरी उपचारों द्वारा इसे एक बार को ज्यादा डार्क होने से रोक सकते हैं.
लेकिन ध्यान रहे कि कोई भी रासायनिक क्रीम और ब्लीचिंग क्रीम हानिकारक हो सकती है. आपको प्रेगनेंसी के दौरान इस प्रकार की क्रीम से बचना है. और जो भी आप इसके ऊपर प्रयोग करें, अपने डॉक्टर से वह जरूर पूछें.
सूर्य के संपर्क में ना आने दे. यह भी एक तरीका है, काली लाइन को अवॉइड करने का.
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काली रेखा पड़ने के क्या कारण हैं
गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की अधिकता हो जाती है .हमारे शरीर में बहुत सारी प्रॉब्लम की जड़ एस्ट्रोजन हार्मोन ही होता है.गैस एसिडिटी कब्ज से लेकर इस लाइन के पीछे भी एस्ट्रोजन हार्मोन का ही हाथ होता है .और हार्मोन की अधिकता के कारण शरीर में मेलेनिन का निर्माण ज्यादा होने लगता है.
जिसके कारण शरीर में मेलेनिन का जमाव अधिक होकर त्वचा का रंग बदलने लगता है.डार्क गहरा होने लगता है . इसके आगे चलकर त्वचा पर काली लाइन यानी कि लिनिया नाइग्रा नजर आने लगती है.
लिनिया नाइग्रा कब दिखाई देती है
गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में यह काली रेखा जिसे लिनिया नाइग्रा कहते हैं. स्पष्ट नजर आने लगती है बहुत सी महिलाओं में तो यह बिल्कुल भी नजर नहीं आती है. लेकिन कुछ महिलाओं में काफी डार्क नजर आती है. समय के साथ साथिया चौड़ी होती जाती है. और आप ही समाप्त होने के कुछ समय बाद धीरे-धीरे अपने आप यह गायब भी हो जाती है.इन्हें भी पढ़ें : क्या तिल का तेल खाने से गर्भपात हो सकता है
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क्या काली रेखा को रोक सकते हैं
महिलाओं का ड्रेस सेंस इस तरह का होता है, कि यह काली रेखा बहुत स्पष्ट दिखाई पड़ती है, और सबसे बड़ी बात है कि यह बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती है. तो बहुत सी महिलाओं के मन में यह सवाल आता होगा, कि क्या इस रेखा को बनने से रोका जा सकता है.हम आपको बता दें कि इसे बनने से रोक पाना संभव तो नहीं है क्योंकि प्रेगनेंसी हारमोंस की वजह से यह बनती है , हम बाहरी उपचारों द्वारा इसे एक बार को ज्यादा डार्क होने से रोक सकते हैं.
कॉस्मेटिक
बहुत सारे ऐसे एक कॉस्मेटिक पाउडर से आते हैं जिनका प्रयोग करके इस लिनिया नाइग्रा नाम की काली लाइन को ढककर इस के कालेपन को दूर किया जा सकता है.लेकिन ध्यान रहे कि कोई भी रासायनिक क्रीम और ब्लीचिंग क्रीम हानिकारक हो सकती है. आपको प्रेगनेंसी के दौरान इस प्रकार की क्रीम से बचना है. और जो भी आप इसके ऊपर प्रयोग करें, अपने डॉक्टर से वह जरूर पूछें.
सूरज की किरने
ऐसी त्वचा जिसमें मेलन की मात्रा मेलेनिन की मात्रा अधिक होती है. अगर वह त्वचा सूर्य के संपर्क में आए तो वह अधिक डार्क हो जाती है. तो महिलाओं को चाहिए कि वह अपने शरीर को ढक कर रखें.सूर्य के संपर्क में ना आने दे. यह भी एक तरीका है, काली लाइन को अवॉइड करने का.
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नींबू का रस
नींबू का रस त्वचा पर हाइपरपिगमेंटेशन को फीका करके उसे चमकदार बनाने में मदद करता है. इससे काली रेखा फीकी या कम दिखाई देने लगेगी है .फोलिक एसिड
फोलिक एसिड की कमी अक्सर स्किन संबंधी परेशानी हो सकती है. इसलिए हरी पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज और फल में संतरे खाएं. फोलिक एसिड आपके बच्चे के विकास के लिए भी बहुत जरूरी है.
एक प्रश्न
यह भी था
कि क्या यह
लाइन शिशु को
नुकसान पहुंचाने का
संकेत है तो
हम आपको बता
दें कि इस
लाइन के बनने
से किसी भी
प्रकार का नुकसान
शिशु को नहीं
होता है यह
एक प्रेगनेंसी हार्मोन
के कारण बनती
है और वह
प्रेगनेंसी हार्मोन
शिशु की
सुरक्षा
के लिए ही
होता है.
भारतीय समाज
में और विश्व
के दूसरे हिस्सों
में इस लाइन
को देखकर बहुत
से लोग बल्कि प्राचीन समय से
समाज में जेंडर
परीक्षण किया
जा रहा है.
दोस्तों
वैसे तो इस
जेंडर परीक्षण का
कोई वैज्ञानिक आधार
नहीं है वैज्ञानिक
दृष्टिकोण से
इस तरह से
किसी भी प्रकार
से जेंडर परीक्षण
नहीं किया जा
सकता है.
लेकिन समाज
में पुराने लोग
अपने अनुभव के
आधार पर काली
लाइन के अनुसार
जेंडर प्रिडिक्शन करते
हैं.
जब नाभि
से गुजरने वाली
रेखा बिल्कुल सीधी
ना होकर हल्की
सी तिरछी होगी
तो आपका होने
वाला बच्चा एक
प्यारी सी गुड़िया
होगी.
यदि गर्भवती
महिला की नाभि
से गुजरने वाली
रेखा नीचे से
ऊपर की ओर
बिल्कुल सीधी
है तो होने
वाला बच्चा लड़का
होगा.
गर्भवती महिला
के पेट पर
लाइन अगर नाभि
से ऊपर तक गहरी
है, तो इसका
मतलब है कि
आपके पेट में
पल रहा शिशु
लड़का है.
अगर लाइन
हल्की व नाभि
के नीचे तक
है तो इसका
मतलब है, कि
आपके गर्भ में
पल रहा शिशु
लड़की है.
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Pregnancy Issue