प्रेगनेंसी नहीं होने के 8 कारण पार्ट 2

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दोस्तों स्त्री और पुरुष दोनों का शरीर ही संतान प्राप्ति में मुख्य भूमिका निभाता है. इस शरीर में कुछ विशेष प्रकार की कमी होने लगती है तो संतान प्राप्ति में परेशानी आती है. बहुत सारी समस्याएं होती हैं, इनमें से कुछ समस्याओं पर हम चर्चा इस आर्टिकल के माध्यम से कर रहे हैं.

pregnancy Nahin hone ke Mukhya Karan
 

ओव्युलेशन की समस्या – Ovulation problem

कई महिलाओं में इस तरह की परेशानी अर्थात ओवुलेशन की समस्या की वजह से गर्भधारण नहीं हो पाता है माना जाता है, कि कुछ खास आदतें, सर्जरी या फिर हार्मोनअल समस्या की वजह से ओवुलेशन से संबंधित परेशानी पैदा हो जाती है. जिसकी वजह से महिला पूर्ण रूप से बांझपन का शिकार या उसे गर्भधारण करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है.

अनियमित मासिक चक्र – Irregular menstrual cycle

जिन महिलाओं का मासिक चक्र अनियमित होता है उनके ओवुलेशन पीरियड का समय भी काफी अनियमित रहता है. और मासिक चक्र अनियमित होने की वजह से महिला कम ओव्युलेट  होती है. जिसकी वजह से गर्भाधान की संभावना भी कम ही रहती है.

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS)- Polycystic Ovary Syndrome

PCOS महिलाओं को होने वाली एक समस्या है, जिसकी वजह से महिलाओं को प्रेगनेंसी होने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. PCOS की समस्या की वजह से ओव्युलेशन पीरियड अनियमित हो जाता है. इस वजह से गर्भधारण करने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.

अंडों की गुणवत्ता – Quality of eggs

महिला के शरीर में अंडों की गुणवत्ता पर प्रेगनेंसी काफी हद तक निर्भर करती है. जैसे-जैसे महिला की उम्र बढ़ती जाती है, वैसे वैसे महिलाओं के अंडे की गुणवत्ता कम होती जाती है, जिसकी वजह से प्रेगनेंसी होने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है.
महिला की उम्र 30 पार कर लेने के बाद अंडों की गुणवत्ता धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगती है. 40 बार करते करते यह काफी कम हो जाती है.

थायराइड की समस्या- Thyroid problem

अगर किसी महिला को थायराइड की समस्या हो जाती है. चाहे तो थायराइड बढ़ जाए चाहे थायराइड कम हो जाए अगर वह नियमित सीमा में नहीं रहता है. तो महिलाओं को दो तरह की प्रॉब्लम का सामना करना पड़ता है. एक तो उसके शरीर में हार्मोन अल अनियमितता आ जाती है जिसकी वजह से उसके पीरियड अनियमित हो जाते हैं. दूसरी बात ओवुलेशन पीरियड भी प्रभावित हो जाता है, जिसकी वजह से मां बनने की क्षमता काफी हद तक कम हो जाती है. अगर महिला किसी भी प्रकार से गर्भधारण कर भी लेती है तो 2 या 3 महीने में गर्भ का विकास रुक जाता है.

प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन की कमी – Progesterone hormone deficiency

विशेषज्ञों के मुताबिक, महिलाओं में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन की कमी गर्भधारण की प्रक्रिया को प्रभावित करती है. कारण यह है कि प्रोजेस्ट्रोन ऐसा हार्मोन है, जो महिलाओं में ओव्युलेशन की प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होता है. वहीं, इसकी कमी महिलाओं में इस प्रक्रिया को धीमा करने का काम करती है. ऐसे में महिला गर्भधारण न कर पाने की जटिलता से झूझती है.

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फैलोपियन ट्यूब में रुकावट – Fallopian tube blockage

फैलोपियन ट्यूब में रुकावट गर्भधारण न कर पाने का एक बड़ा कारण होता है. इस स्थिति में निषेचन की प्रक्रिया यानी सक्रीय अंडों का एक्स या वाई क्रोमोसोम से  मिलन नहीं हो पाता. यह समस्या एंडोमेट्रियोसिस, संक्रमण या अनियमित मासिक चक्र के कारण अंग में आने वाली सूजन की वजह से पैदा हो सकती है.

पुरुषों की वजह से – Because of men

किसी भी गर्भ को धारण करने के लिए पुरुष और महिला दोनों का बराबर का योगदान होता है. जितनी कमी किसी भी गर्भ को धारण करने के लिए महिलाओं के अंदर हो सकती है, उतनी ही कमी पुरुषों के अंदर भी हो सकती है. पुरुषों के एक्स और वाई क्रोमोसोम की गुणवत्ता भी अत्यधिक महत्व रखती है इनमें खराबी की वजह से भी गर्भधारण नहीं होता है.

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या कभी-कभी किसी बीमारी की वजह से या एक्सीडेंट, चोट लग जाने की वजह से पुरुषों की नलिया ब्लॉक हो जाती हैं, जिसकी वजह से एक्स वाई क्रोमोसोम का मार्ग अवरुद्ध हो जाता है, और गर्भधारण नहीं हो पाता है.
जब भी कोई दंपत्ति संतान प्राप्ति करने में असफल हो रहे होते हैं, तो उन्हें सबसे पहले आपने लाइफस्टाइल को सुधारना चाहिए और साथ ही साथ पुरुष और स्त्री दोनों को अपना चेकअप किसी योग्य डॉक्टर से करवा लेना चाहिए. जिससे अगर किसी भी प्रकार की कमी पुरुष या स्त्री के शरीर में होती है तो उसका सही समय पर पता लगाया जा सके और गर्भावस्था की आइडियल स्थिति को पुनर्स्थापित करने के लिए कोशिश की जा सके.

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