क्या बच्चों की लार टपकना आम बात होती है, क्या यह सामान्य है ?

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नमस्कार दोस्तों जैसे ही बच्चा 4 से 5 महीने का हो जाता है तो उसके बाद बच्चे की लार टपकना शुरू हो जाता है. कुछ बच्चों में तो यह है काफी कम होता है, लेकिन कुछ बच्चों में यह काफी ज्यादा देखने में आता है. लार टपकने से कभी-कभी ऐसा लगता है कि बच्चे को किसी प्रकार का इंफेक्शन हो गया है या इंफेक्शन हो जाए इस बात की चिंता रहती है.

आज इसी विषय पर हम चर्चा करने वाले हैं ताकि सभी माता-पिता का जो कि अपने बच्चे के प्रति चिंतित हैं, उनकी समस्या का समाधान बड़ी आसानी से हो जाए. लार टपकने से संबंधित जो भी आपकी समस्या है उसका समाधान जरूर हो जाएगा.
आज हमारे टॉपिक है

क्या बच्चों की लार टपकना आम बात होती है यह सामान्य है . बच्चे लटकाना कब से शुरू कर देते हैं . क्या लार टपकना ठीक होता है,यह बच्चे के विकास में मदद करता है. लार टपकने के क्या क्या कारण हो सकते हैं .

दोस्तों आपने अक्सर देखा होगा छोटे बच्चों के लार टपकती है और उनकी माता बड़े प्यार से उसे साफ भी करती हैं. कुछ बच्चों में लार टपकना कम होता है, और कुछ बच्चों में लार टपकने की प्रक्रिया काफी ज्यादा होती है. इसके लिए उन्हें अलग से कपड़ा भी लगाना पड़ता है. कई मामलों में लार टपकना सामान्य भी होता है. कुछ मामलों में यह सामान्य नहीं माना जाता है.

Is it a concern for young children to drool

क्या बच्चे की लार टपकना सामान्य है

सबसे पहले तो यही माता-पिता जानना चाहते हैं, कि क्या बच्चे की लार टपकना सामान्य होता है. कोई दिक्कत वाली बात तो नहीं होती है. तो हम आपको बता दें 2 साल की उम्र तक बच्चे की लार टपकना एक सामान्य क्रिया मानी जाती है.

इस दौरान बच्चे के की मानसिक और शारीरिक विकास के साथ-साथ दांत निकलने की प्रक्रिया भी चलती है. लेकिन अगर बच्चे की लार 2 साल के बाद भी टपकती रहती है, तो यह सामान्य नहीं माना जाता है. तब आपको फिक्र करने की आवश्यकता होती है.  इस पर चर्चा हम आगे करेंगे.

क्या लार टपकाना बच्चे के विकास में मदद करता है

जहां तक बच्चे के लार टपकने का सवाल है तो यह लगभग 2 साल तक टपकना सामान्य ही माना जाता है. और यह बच्चे के विकास में सहायता करती है, यह कहना गलत होगा. हां बच्चे के मुंह में लार बनना बच्चे के विकास में काफी मदद करता है. लेकिन लार टपकने का इससे कोई संबंध नहीं होता है.

बच्चे के मुंह में बनने वाली लार दूध के साथ मिलकर बच्चे के पेट में पहुंचती है, जहां वह दूध को पचाने में काफी मदद करती है. शरीर द्वारा दूध के पोषक तत्वों को सोखने में मदद करती है.  साथ ही साथ दूध के कारण या बच्चे को आप जो भी भोजन देते हैं, उसके कारण जो भी बैक्टीरिया मुंह के अंदर पैदा होते हैं, जो कि नुकसानदायक होते हैं, उन्हें नष्ट करने का काम भी यह लार करती है.

जब बच्चा ठोस आहार लेना शुरू कर देता है, तब यह भोजन को नरम बनाने और ग्रास नलीका को नम बनाए रखने में मदद करती है. भोजन निगलने में मदद करती है.

असल में लार तो प्रत्येक व्यक्ति के मुंह में जीवन भर बनती है, लेकिन छोटा बच्चा लार को निगलना नहीं जानता है. इस कारण से वह बाहर टपकती रहती है. 2 साल का होते होते तो वह यह सीख जाता है, और फिर धीरे-धीरे लार टपकना बंद हो जाती है.

असल में सभी बच्चों के मुंह से लार नहीं टपकती है जिन बच्चों के लार ज्यादा बनती है उन्हीं के मुंह से लार टपकने की समस्या नजर आती है.

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बच्चे लार टपकाना कब से शुरू करते हैं

विशेषज्ञों के अनुसार जन्म के बाद लगभग 22 वे हफ्ते में या कह सकते हैं. लगभग पांचवे महीने के दौरान बच्चे के सलाइवा ग्लैंड तेजी से विकसित होने लगते हैं. उनके अंदर लार बनने की प्रक्रिया भी शुरू हो जाती है.

पांचवें, छठे महीने में यह लार काफी ज्यादा बनने लगती है. इस दौरान बच्चे के मुंह में दांत नहीं होते हैं. और बच्चा लार को निगलना भी नहीं जानता है. इस कारण लार टपकने लगती है. 2 साल तक लार टपकना सामान्य बात है. इसमें चिंतित होने की कोई बात नहीं मानी जाती है.

बच्चों के लार टपकाने का क्या कारण होता है

बच्चों की लार बनने के सामान्य कारण होते हैं और कुछ असामान्य कारण भी हो सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार से हैं —

  • जब पांचवे महीने के आसपास बच्चे की सलाइवा ग्लैंड विकसित होती हैं. उसके बाद लार बनना शुरू हो जाती है, और विशेषज्ञों के अनुसार छठे, सातवें महीने में यह अधिक सक्रिय रहती हैं. जिसके कारण लार टपकने की समस्या नजर आती है.
  • जब बच्चों के दांत निकलना शुरू होते हैं तो सलाइवा ग्लैंड कुछ अधिक सक्रिय हो जाती है इस कारण से लार बनना ज्यादा शुरू हो जाता है.
  • जब छठे महीने के बाद बच्चा थोड़ा ठोस आहार लेना शुरू करता है और उसमें कुछ हल्का तीखा भोजन बच्चा लेता है तब सलाइवा ग्लैंड उत्तेजित हो सकती हैं और उसके बाद अधिक लार बनने की समस्या नजर आती है.

इसके कुछ असामान्य कारण भी होते हैं. जिन्हें आपको जानना चाहिए.

  • अगर बच्चे के मुंह में घाव हो जाता है. तब भी लार अधिक बनती है. आपको ऐसी अवस्था में जांचना चाहिए.
  • किसी कारणवश अगर बच्चे को एसिडिटी की समस्या हो जाती है, तब भी लार अधिक बनती है.
  • बच्चा किसी प्रकार से बीमार है तो कुछ दवाओं के असर से लार अधिक बन सकती है.
  • बच्चे को तंत्रिका तंत्र और मांसपेशियों से संबंधित कोई विकार है तब भी लार अधिक बनती है.
  • अगर बच्चे के मस्तिष्क का विकास कम हो रहा है उस अवस्था में भी लार अधिक बनती है.
  • कुछ अनुवांशिक बीमारियों के कारण भी बच्चे को लार अधिक बनने की समस्या नजर आती है.

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