मैदा
मैदा एक ऐसा भोजन है जो लगभग हर प्रकार के खाद्य पदार्थ में शामिल होता है खासकर स्नेक्स के अंदर तो मैदा ना हो तो हमारा नाश्ता पूरा ही नहीं होता है.
नाश्ते के तौर पर आजकल हम फास्ट फूड की तरफ ज्यादा चाहत भरी निगाहों से देखते हैं.
पास्ता, पिज्जा, बर्गर, ब्रेड समोसा, नमकीन, सभी प्रकार के नूडल, मठरी, गुजिया चाहे मिष्ठान में आ जाए हर प्रकार के मिष्ठान में मैदा पड़ता है, और सभी प्रकार के बिस्किट यह सभी के सभी मैदा से ही बनाए जाते हैं.
यहां तक कि अगर आप होटल पर खाना खाने जाए तो भी आटे के अंदर मैदा मिलाकर वह रोटियां बनाते हैं, जो कुछ देर बाद रबर की तरह किस में लगती है.
मैदा गेहूं से प्राप्त होता है और गेहूं तो काफी पौष्टिक खाद्य पदार्थ माना जाता है. लेकिन जब गेहूं को अत्यधिक बारीक पीस दिया जाता है तो उसके गुणधर्म थोड़ा सा बदल जाते हैं. बारीक पिसा गेहूं मैदा कहलाता है. उसके अंदर गेहूं के छिलके नहीं होते हैं जो कि अत्यधिक पौष्टिक होते हैं.
मैदा में कोई विशेष समस्या नहीं है. एक तो उसके अंदर न्यूट्रिशन बहुत कम होते हैं और दूसरी बात यह आसानी से पचता नहीं है. पेट को खराब कर देता है और कब्ज की समस्या पैदा कर देता है.
प्रेगनेंसी के दौरान बस कब्ज ही नहीं होना चाहिए कब्ज होने का मतलब है कि आप अपने भोजन से सही प्रकार से सभी पोषक तत्व को प्राप्त नहीं कर पा रही हैं. अगर आप कायदे से अपने भोजन का पूर्ण रूप से प्रयोग नहीं कर पाएंगे, तो बच्चे के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक पोषक तत्व आपको नहीं मिल पाएंगे और प्रेगनेंसी में दिक्कत आने की संभावना हो जाती है.
क्योंकि वह माता के द्वारा प्राप्त पोषण पर ही निर्भर होता हैं. तो महिला को खासकर प्रेगनेंसी के दौरान तो मैदा अपने भोजन में प्रयोग नहीं करनी चाहिए. महिला के शरीर में काफी सारे हार्मोन उत्पन्न होते हैं, जो पेट की मांसपेशियों को मुलायम कर देते हैं, तो आसानी से पचने वाला भोजन भी नहीं पचता है.
ऐसे में मुश्किल से पचने वाला भोजन तो काफी दिक्कत पैदा कर सकता है. और मैदा ऐसा ही खाद्य पदार्थ है. और मैदा ऐसा ही खाद्य पदार्थ है साथ ही साथ महिला इस बात का और ध्यान रखें कि अगर आपको ऐसा भोजन लेना पड़े तो उस दिन के समय ले. और भी दूसरे खाद्य पदार्थ हैं जो पोस्टिक तो होते हैं, लेकिन गरिष्ठ होते हैं अर्थात पचने में समय लेते हैं, जैसे कि चना राजमा और भी दूसरे हैं उन्हें भी आप दिन के समय ही ले.
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मिलावटी दूध
दूध को जीवनदायिनी माना गया है और इस पर सभी आंख बंद करके भरोसा करते हैं. लेकिन आज के समय में दूध को भी मिलावटी बना दिया गया है, और केमिकल के द्वारा तैयार किया जाता है. जो बिल्कुल जहर होता है.
ऐसा दूध किसी स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी बहुत नुकसानदायक होता है, और गलती से अगर गर्भवती स्त्री इस प्रकार का दूध अपने भोजन में शामिल कर रही है. तो कोई अनहोनी हो जाए तो बहुत बड़ी बात नहीं होती होगी.
हमने कुछ दिनों पहले एक सर्वे पड़ा था जो कि भारत सरकार द्वारा तैयार किया गया था उसके अनुसार भारत में दूध की जितनी खपत हो रही है, गाय-भैंसों से मात्र उसका 1/3 दूध ही पैदा हो रहा है अर्थात लगभग आधा दूध मार्केट में डुप्लीकेट है.
ऐसे में दूध को अगर सफेद जहर की संज्ञा दी जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी.
जो महिलाएं गर्भवती हैं और बड़े शहरों में रहती हैं या मिडल शहरों में रहती हैं. उन्हें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए, कि वह किस प्रकार का दूध इस्तेमाल कर रही हैं.
उनके परिवार वालों को हमेशा सामने का दूध लेकर आना चाहिए, क्योंकि जो दूध बाजार में है उसमें लगभग आधा तो नकली ही है जो किसी भी गर्भस्थ शिशु के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है.
आपने कभी देखा है वैसे हमने तो काफी देखा है कि किसी दूध बेचने वाले से अगर यह कहा जाता है कि उसे कल को 1000 दूध लीटर दूध की आवश्यकता है तो वह कभी मना नहीं करता है, वह कहता है ठीक है अरेंजमेंट हो जाएगा.
यहां पर हम लोग एक बात नहीं सोचते हैं कि हजार लीटर दूध या 100, 200 लीटर दूध भी एकदम से 1 दिन के लिए अरेंजमेंट करना क्या मजाक बात है.
अगर उसके पास इतने दूध की क्षमता होती तो उसे पहले ही लेकर कहीं और दे रहा होता. वह अचानक से इतना दूर कहां से ले आते हैं. कोई 1 दिन के लिए गाय या भैंस दूध तो देगी नहीं अधिकतर सामान डुप्लीकेट ही होता है.
कई बार हमने इस बात को जानने के लिए शादी ब्याह में काउंटर होते हैं उन पर पूछा कि जो आप दूध पिला रहे होते हैं, क्या यह वास्तव में दूध ही है हंसकर पूछते हैं तो जो व्यक्ति दूध सर्व कर रहा है वह भी मुस्कुरा कर कहता है बस शादी विवाह में दूध की क्वालिटी के विषय में बात नहीं करनी चाहिए. समझदार को इशारा ही काफी होता है.
दूध के साथ बहुत से खाद्य पदार्थ नहीं खाए जाते हैं कुछ विरुद्ध प्रकृति के खाद्य पदार्थ होते हैं ऐसे एक खाद्य पदार्थ जिसे सोडा कहते हैं उसे नहीं खाया जाता है. विरुद्ध प्रकृति हो जाने नुकसान हो जाता है. लेकिन कुछ लोग डिटर्जेंट और सोडा का इस्तेमाल नकली दूध बनाने के लिए करते हैं, अर्थात वह दूध के अंदर इन चीजों को मिलाकर दूध को बढ़ाते हैं. कम दूध को अधिक कर लेते हैं अब आप सोचिए सोडा जो खुद दूध के साथ खाए जाने पर अत्यधिक नुकसान देता है, उसका बना दूध कितना नुकसान देगा.
इसलिए यहां पर हम अब दूध को सफेद जहर कहने लगे है.