प्रेगनेंसी के दूसरे हफ्ते को लेकर हमने इससे पहले Article में आप से चर्चा की थी. प्रेगनेंसी के दूसरे हफ्ते में महिला के शरीर में गर्भाधान की प्रोसेस शुरू हो जाती है.
तीसरे सप्ताह की प्रेग्नेंसी होने का सीधा सीधा मतलब यही है, कि आपके साथी का शुक्राणु आप के अंडाणु से संयुक्त हो चुका है, और गर्भावस्था प्रारंभिक चरण में प्रवेश कर गई है.
अगर इस दौरान महिला के शरीर में दो अंडाणु उत्सर्जित होते हैं, और दोनों ही निषेचित होकर गर्भावस्था को आगे बढ़ाते हैं, तो जुड़वा बच्चों की प्रेगनेंसी भी महिला को हो सकती है.
इस वक्त तक भ्रूण फेलोपियन ट्यूब के अंदर होता है. अब आगे चलकर महिला के शरीर में प्रेगनेंसी से संबंधित हारमोंस उत्सर्जित होना शुरू हो जाएंगे, और जिनका असर या जिनका प्रभाव या साइड इफेक्ट महिला को आने वाले कुछ हफ्तों के बाद नजर आने लगेगा.
जिनके आधार पर कुछ लक्षण आएंगे या आपके ब्लड को या यूरिन को टेस्ट करके इस बात का पता लगाया जा सकेगा कि आप गर्भवती हैं.
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महिला के अंडाणु, शुक्राणु से निषेचन की प्रक्रिया करते हैं, जिसमें लगभग 24 घंटे का समय लगता है, इसके बाद जैसे ही जैसे ही शुक्राणु अंडाणु के साथ संयुक्त होता है. वैसे ही अंडाणु चारों तरफ एक रक्षात्मक दीवार बना लेता है.
अगर अंडाणु एक शुक्राणुओं द्वारा निषेचित होकर दो हिस्सों में बट जाता है, तो शुरुआती चरण में ही दो समान जुड़वा भ्रूण का निर्माण हो जाता है.
आप इसे ऑफिशल तौर पर भ्रूण कहा जा सकता है, और यह अपने आप को बढ़ाने लगते हैं. जो भ्रूण दो कोशिकाओं से शुरू हुआ था, 3 दिन के अंदर अंदर यह अपने आप को 12 कोशिकाओं के बराबर कर लेता है.
यह सारी प्रक्रिया फैलोपियन ट्यूब के अंदर ही संपन्न हो रही है ,और यह धीरे-धीरे खिसक कर फेलोपियन ट्यूब से गर्भाशय की ओर जा रहा है. गर्भाशय में पहुंचने के बाद यह 37 हफ्ते तक वही रहेगा.
भ्रूण फैलोपियन ट्यूब से गर्भाशय तक आने में 60 घंटे का समय लगाता है, और तब तक यह लगभग 60 कोशिकाओं के बराबर हो जाता है. यह कोशिकाएं लगभग लगभग सभी अलग-अलग होती हैं और इनका अपना अलग अलग कार्य अपनी अलग अलग भूमिका होती है, जो शिशु के अलग-अलग अंगों का निर्माण अलग अलग तरीके से करेंगे.
दूसरे हफ्ते में यह अंडाणु और शुक्राणु संयुक्त हुए थे और लगभग 1 हफ्ते के बाद यह गर्भाशय में उसकी दीवार से जुड़कर स्थापित हो जाता है, और इसमें लगभग 100 कोशिकाएं हो जाती है, जिसे ब्लास्टोसिस्ट कहते हैं.
इसी शुरुआती समय में गर्भावस्था से संबंधित हारमोंस ह्यूमन कॉरियोनिक गोनैडोट्रोफिन का निर्माण शुरू हो जाता है.
यही हारमोंस जब अधिक बड़े पैमाने पर महिला के शरीर में निर्मित होता है तो यह यूरिन में और ब्लड में पाया जाता है. इसी की सहायता से हम यह पता लगाते हैं कि महिला गर्भवती हो गई है, अर्थात कंफर्म कर करते हैं.
यह तीसरा सप्ताह है इसमें महिलाएं निश्चित तौर पर यह नहीं कह सकती है कि वह गर्भवती हो गई है लेकिन कुछ परिवर्तन महिला के शरीर में नजर आ सकते हैं. जिससे महिला समझ सकती हैं कि वह गर्भवती है.
जैसे कि वह अपने मुंह का स्वाद अजीब सा महसूस करेंगी. 3 सप्ताह की गर्भावस्था तक इतना समय गुजर चुका होता है की प्रेगनेंसी हारमोंस के कारण महिलाओं के शरीर में हल्के हल्के लक्षण आना शुरू हो जाते हैं.
यह लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि महिला का शरीर इन हारमोंस के प्रति कितना सेंसिटिव है. अगर अधिक सेंसिटिव वह तो लक्षण अधिक नजर आ सकते हैं और कम सेंसिटिव है तो लक्षण इतने कम भी हो सकते हैं कि आप न पहचान पाए.
अब आप गर्भवती हैं अगर आपको इस बात का एहसास हो रहा है तो आपको तुरंत अपने लाइफ स्टाइल में परिवर्तन लाना पड़ेगा.
आपको काफी सावधानी रखने की आवश्यकता है , दैनिक गतिविधियों में ऐसा काम ना करें जिससे किसी भी प्रकार का आघात आपके शरीर को पहुंचे, पेट की मांसपेशियों में ऐंठन आए. कुल मिलाकर गर्भाशय तक किसी भी प्रकार का दबाव नहीं आए.
देखिए जब आप गर्भधारण के लिए कोशिश करती है तो आप यह मान कर चलिए कि आप गर्भवती हैं. आपको छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना है.
आपको किसी भी प्रकार का एक्स-रे नहीं कराना है, चाहे आपके दांत का एक्सरे हो ना हो या शरीर के किसी और अंग का एक्सरे होना हो, ध्यान रखें अपने डॉक्टर को यह जरूर बताएं कि आप गर्भवती हो सकती हैं.
अल्कोहल का सेवन नहीं करें, जो भी आप दवाइयां ले रही हैं. उनके उसके संबंध में डॉक्टर से अवश्य बात करें उन्हें बताएं कि आप गर्भवती हो सकती हैं या है.
अपने आसपास के वातावरण का भी ध्यान रखें अधिक पोलूशन वाले वातावरण में जाने से बचें.