गर्भावस्था में सोना क्यों मुश्किल होता है. गर्भावस्था के दौरान कितनी नींद हमें लेनी चाहिए. क्या कम नींद प्रेगनेंसी में नुकसान पहुंचा सकती है. गर्भावस्था में नींद ना आने से क्या समस्याएं होती हैं.
दोस्त प्रेग्नेंसी के समय नींद बहुत ही महत्वपूर्ण होती है जब महिला सोती है तो उसमें बच्चे का विकास बहुत अच्छे से होता है क्योंकि उस वक्त शरीर को सिर्फ और सिर्फ एक कार्य रहता है वह होता है बच्चे की देखभाल तो आज मैं अपनी इस POST के माध्यम से नींद को लेकर चर्चा करने वाले हैं—
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गर्भावस्था में सोना क्यों मुश्किल होता है – Pregnancy me sona kyon mushkil hota hai
प्रेगनेंसी के दौरान महिला के पेट का आकार बढ़ता जाता है. महिला के स्तनों का आकार भी बढ़ता है. महिला को भारीपन महसूस होता. रात को बार बार पेशाब जाना पड़ता है. पेशाब जैसा महसूस होता है.
कई बार सांस लेने में भी दिक्कत आ जाती है. और डॉक्टर पेट के बल सोने की सलाह देते हैं. शरीर में हार्मोन काफी तेजी से बदलते रहते हैं. जिसकी वजह से महिला का मन भी खराब रहता है.
इस वजह से प्रेगनेंसी के दौरान सोने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ता है.
गर्भावस्था के दौरान कितनी नींद हमें लेनी चाहिए – Garbhaavastha ke dauraan neend
डॉक्टर्स के अनुसार 18 से 64 वर्ष तक की आयु के लोगों को 7 घंटे की नींद लेनी चाहिए. लेकिन भाई अगर गर्भवती महिला की बात करें तो उसे थोड़ा सा ज्यादा सोना चाहिए और साथ ही साथ दिन में भी कुछ घंटे की नींद अवश्य लेनी चाहिए.
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क्या कम नींद प्रेगनेंसी में नुकसान पहुंचा सकती है – Kya kam neend Pregnancy ko Nuksan Deti Hai
महिला के गर्भ में पल रहे शिशु को ऑक्सीजन और पोषक तत्व की जरूरत होती है. कई बार महिला के जागते समय बच्चे की आवश्यक जरूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं. भ्रूण की हृदय गति कम हो जाती है, उसे खून की कमी हो सकती है.
गर्भावस्था में नींद ना आने से क्या समस्याएं होती हैं – Neend na aane se kya samasyaen
प्रेग्नेंसी के दौरान रात को अच्छी तरह न सोने से गर्भवती को उच्च रक्तचाप व गर्भावधि मधुमेह जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
इतना ही नहीं स्लिप एप्निया, अधिक वजन, अनियंत्रित ग्लूकोज का स्तर व भूख बढ़ने जैसी समस्या भी हो सकती है.
इन सबके साथ साथ में गर्भस्थ शिशु में ब्लड की सप्लाई और ऑक्सीजन का प्रवाह, उसका संचार सही प्रकार से नहीं होता है. जिसके कारण गर्भ शिशु के विकास और रुकने का अंदेशा बना रहता है. कभी-कभी समय से पहले भी डिलीवरी की समस्या देखने में आती है.
और भी दूसरे प्रकार की समस्याएं नजर आती हैं जो इस प्रकार से हैं.
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- इम्यून सिस्टम प्रभावित हो सकता है.
- सिजेरियन डिलीवरी की आशंका बढ़ सकती है.
- गर्भवती महिला को तनाव तक का सामना करना पड़ सकता है.
- गर्भवती महिला को दिनभर ज्यादा थकावट महसूस हो सकती है.
- जन्म के दौरान शिशु का वजन कम हो सकता है.
- त्वचा पर झाइयां नजर आ सकती हैं.
- किसी भी काम को करने में एकाग्रता कम हो सकती है.