प्रेगनेंसी के दौरान महिला के मन में उठने वाले 4 डर- Fears arising in the mind of a woman during pregnancy

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नमस्कार दोस्तों, जैसे ही महिला को या परिवार को पता चलता है, कि घर में नन्हा मेहमान आने वाला है. वैसे ही घर में उत्साह का एक माहौल पैदा हो जाता है, और बहुत ज्यादा खुशियां मन में आने लगती हैं, लेकिन एक छोटी सी बात यह भी है, कि जितनी ज्यादा खुशी प्राप्त होती है, वह उतना ही ज्यादा डर लेकर भी आती है. यह एक नेचुरल बात है, लेकिन कुछ डर है, जो एक गर्भवती महिला को काफी परेशान कर सकते हैं. महिलाएं क्यों बहुत ज्यादा चिंतित और व्याकुल हो जाती हैं

बहुत सारी ऐसी बातें होती हैं, जो महिला प्रेगनेंसी के बारे में जानती हैं, या उन्होंने बहुत
सारी बातें सुनी होती है, जिसकी वजह से उनके मन में डर आना एक नेचुरल सी बात है. हमेशा
व्यक्ति की एक आदत होती है, कि वह किसी भी बात को लेकर 100 अच्छी बातों को याद नहीं
रखता है, लेकिन उस संबंध में घटित दो गलत बातें वह हमेशा याद रखना है.

कुछ डर जो लगभग लगभग हर गर्भवती महिला के मन में
आ सकते हैं.

प्रेगनेंसी के दौरान महिला के मन में उठने वाले 4 डर- Fears arising in the mind of a woman during pregnancy

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माता बनने के बाद जीवनसाथी से संबंध

जैसे ही कोई महिला मातृत्व जीवन में प्रवेश करती है. वैसे ही उसके ऊपर
बहुत ज्यादा जिम्मेदारी आ जाती है. यह उसके लिए एकदम नया होता है. ऐसे में उसे बहुत सारा ध्यान अपने बच्चे को भी देना
होताहै.

समय तो निश्चित होता है, तो यह बात भी बिल्कुल निश्चित है कि जो
समय पहले अपने पति, परिवार या दोस्तों के लिए था. अब उसमें उसकी
संतान भी शामिल हो चुकी है, और यह सब बातें परिवार और आपका जीवन
साथी भी समझता है. किसंतानआपकेलिएकितनीजरूरीहै.

आप यह जान लीजिए थोड़ा सा फर्क तो आएगा ही, लेकिन सब धीरे-धीरे एडजस्ट हो जाता है,
और आप अपनी संतान के साथ पुरानी जिंदगी में वापस लौट सकती हैं. क्योंकि आपका परिवार और आपके जीवन
साथी को भी तो बच्चे को समय देना होता है.

 

बच्चे को जन्मजात रोग होने का डर

असल में महिला के ऊपर आजकल प्रेगनेंसी को लेकर काफी
ज्यादा प्रेशर होता है.  बहुत सी बातें उसे बताई जाती है. सावधानी रखने की सलाह दी
जाती है. ऐसे में महिला के मन में यह बात आ जाती है, कहीं उसके बच्चे को कोई जन्मजात
रोग में हो जाए . वह कोई गलती ना कर दे,
जिसका खामियाजा उसे जीवन भर भुगतना पड़े,
या कुछ ऐसे बच्चों के जन्म उसने देखे होते हैं, जिसकी वजह से उसे इस प्रकार का डर लगा
रहताहै.

प्रेगनेंसी के प्रारंभिक 3 महीनों में मिसकैरेज होने की संभावना भी
काफी ज्यादा होती है जिसकी वजह से वह थोड़ा परेशानी में रह सकती है.

देखिए प्रेगनेंसी के दौरान ध्यान रखना एक सामान्य और
नियमित बात है, और माता के शरीर में बच्चे की सुरक्षा के
बहुत ज्यादा इंतजाम पहले से ही होते हैं.

अगर हम भी थोड़ा ध्यान रखें तो किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होती है. बस आप इस बात को सुनिश्चित करें कि आप फोलिक एसिड की टेबलेट नियमित रूप से लें.

आप अपने भोजन का ध्यान रखें
और पान, बीड़ी, सिगरेट और शराब का
सेवन बिल्कुल ना करें. अपने
वजन का ध्यान रखें.
सुनिश्चित करें कि आपका ब्लड
शुगर नियमित रहे. बस इन बातों
का ध्यान रखें.

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क्या मैं प्रसव पीड़ा को संभाल पाने में सक्षम रहूंगी

बहुत सी महिलाएं प्रसव के समय होने वाली पीड़ा को लेकर बहुत ज्यादा डर में रहती
हैं. और यह चिंता उन्हें पूरे प्रेगनेंसी के दौरान रह सकती है. चिंता करना प्रेगनेंसी में ठीक नहीं होता है.

हम आपको बता दें महिला के शरीर में बहुत सारे हारमोंस इस प्रकार के उत्पन्न होते हैं, जो प्रेगनेंसी
को संभालने और डिलीवरी को संभालने के लिए ही शरीर में पैदा होते हैं. हालाकी डिलीवरी
का जो भी प्रोसेस होता है.

अगर वह हारमोंस महिला के शरीर में उत्पन्न ना हो तो यह अत्यधिक कष्टकारी हो सकता है, लेकिन हारमोंस
के कारण यह समस्या ना के बराबर हो जाती है. इसलिए आपको चिंता करने की बिल्कुल भी आवश्यकता
नहीं है.

क्या मैं एक अच्छी मां बन पाऊंगी

अधिकतर सेंसिटिव महिलाएं इस बात को बहुत ज्यादा सोचती है कि वह
संतान को किस प्रकार से लालन पोषण करेंगी.

आप कभी भी अपनी तुलना किसी दूसरी महिला से बिल्कुल भी ना करें. एक संपूर्ण मां
होना अपने आप में मात्र एक भ्रम है. कोई भी व्यक्ति किसी भी जिम्मेदारी को पूर्ण रूप
से निभाने में आज तक कभी भी सक्षम नहीं रहा है.

बस आप इस संबंध में सोचे बिना अपने कर्तव्य में लग जाइए. बहुत
छोटी-छोटी आवश्यकताएं एक शिशु की होती है.

 जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता जाता है वैसे वैसे उसकी आवश्यकताएं बदलती जाती है बस आपको
उसकी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर उसके लिए कार्य करना है, और आप देखेंगे
कि आप एक सबसे अच्छी मां साबित हो रही है.

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