विदारीकंद के स्वास्थ्य लाभ और नुकसान

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विदारीकंद एक जंगली जड़ी-बूटी है. यह उत्तर भारत के मैदानी इलाकों और पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है. यह लता के रूप में फैलती है, और जमीन में इसका कंद विकसित होता है. जिसे विदारीकंद (Vidarikand) और दूसरे नामों से जाना जाता है. यह आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि के रूप में विख्यात है.

यह विभिन्न प्रकार की शारीरिक समस्याओं में काफी मदद करती है, लेकिन विदारीकंद अपने आप में संपूर्ण मेडिसन नहीं है, यह दूसरी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के साथ मिलाकर दी जाती दी जाती है.

विदारीकंद की तासीर शीतल होती है. यह ग्रामीण क्षेत्रों में कई दूसरे नामों से भी जाना जाता है, और कई जगह इसे सब्जी के रूप में भी प्रयोग किया जाता है.

विदारीकंद के स्वास्थ्य लाभ और नुकसान

विदारीकंद के स्वास्थ्य लाभ – Vidarikand ke Fayde

विदारीकंद के बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ हैं (Vidarikand benefits in Hindi). यह बहुत सारे आयुर्वेदिक नुस्खों के अंदर प्रयोग किया जाता है.

  • पित्ताशय में उठने वाले दर्द और पित्ताशय की सूजन में विदारीकंद लाभदायक माना जाता है.
  • बच्चों के याददाश्त को बढ़ाने के लिए या किसी बड़े उम्र के व्यक्ति में याददाश्त संबंधी समस्या आने पर विदारीकंद का प्रयोग किया जा सकता है.
  • मिर्गी रोग में भी यह काफी लाभ प्रदान करता है. मिर्गी रोगी को इसका प्रयोग कराने से मिर्गी की समस्या में कमी देखी गई है.
  • विदारीकंद में anti-inflammatory गुण पाए जाते हैं. इसलिए यह कटने, फटने और सूजन में काफी लाभदायक है.
  • विदारीकंद के अंदर कैंसर को रोकने वाली प्रॉपर्टीज होती है विदारीकंद की जड़ का चूर्ण कैंसर ऐसी समस्याओं में काफी लाभदायक होता है.
  • विदारीकंद पुरुष सेक्स हारमोंस टेस्टोस्टेरोन को बढ़ाने में काफी मदद करता है इसकी वजह से पुरुष की कामेच्छा में वृद्धि होती है.
  • बांझपन और नपुंसकता जैसी समस्या में भी यह कई आयुर्वेदिक औषधियों के साथ प्रयोग में लाया जाता है.
  • विदारीकंद पुरुष शक्ति अर्थात शारीरिक शक्ति के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है इसे लेने से शरीर में स्फूर्ति और ताकत महसूस होती है.
  • इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में यह काफी महत्वपूर्ण रोल अदा करता है.
  • महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्त जाने की समस्या में भी यह काफी लाभदायक होता है.
  • यह रक्त विकारों को दूर करता है. अर्थात यह रक्त को शुद्ध करने का कार्य करता है. इसकी वजह से खाज खुजली फोड़े फुंसी जैसी समस्याएं दूर होती हैं. रक्त विकारों की वजह से कुछ बहुत बड़ी क्रॉनिकल समस्याएं भी होती है. जिनमें राहत मिलती है. हृदय आघात ब्लड प्रेशर कोलेस्ट्रॉल ऐसी समस्याएं हैं, जो रक्त अशुद्धि की वजह से होती है.
  • मूत्र विकार में भी यह काफी लाभदायक माना जाता है. यूरिन इन्फेक्शन के दौरान कई प्रकार की समस्याएं नजर आती हैं उन सभी में यह फायदेमंद है.
  • मुनक्का के साथ विदारीकंद चूर्ण देने पर बच्चों का शरीर भी पुष्ट बनता है.
  • विदारीकंद विषम ज्वर में भी काफी लाभदायक होता है.
  • विदारीकंद 6 ग्राम चूर्ण को प्रतिदिन गाय के दूध और मिश्री के साथ सुबह-शाम लेने से मनुष्य का बल, जीवनी शक्ति, रोग निवारक शक्ति, ओज और बल बढ़ता है.
  • प्रेगनेंसी के बाद जो महिलाएं अपने बच्चे के लिए प्रचुर मात्रा में दूध का उत्पादन नहीं कर पाती हैं, विदारीकंद के अंदर दुग्ध वर्धक गुण पाए जाते हैं. इसका प्रयोग करने से महिलाओं को अधिक दूध बनता है.
  • विदारीकंद के अंदर anti-inflammatory और पेन रिलीफ गुण पाए जाते हैं. इस वजह से यह घाव होने पर काफी लाभदायक होता है.

    TIP: पुरुषों के
    समग्र विकास जैसे कि शारीरिक विकास, मानसिक विकास और मर्दाना ताकत के विकास इत्यादि
    के लिए आयुर्वेद के अंदर काफी सारी जड़ी बूटियां प्रयोग में लाई जाती है जैसे कि –

    केसर, सफेदमूसली, शतावरी, अश्वगंधा, शिलाजीत, गोखरू, स्वर्ण भस्म, कौंच के बीज, मेथीपाउडर, जिनसेंग,
    जिंक, सालम पंजा, काली मूसली, टोंगकैट
    अली
    इत्यादि. इन जड़ी-बूटियों से बने नुस्खे
    बहुत लाभदायक और शक्तिशाली होते हैं.

    विदारीकंद के स्वास्थ्य लाभ और नुकसान

     

विदारीकंद के नुकसान

विदारीकंद हमेशा दूसरी जड़ी बूटियों के साथ योग करके दिया जाता है. इसलिए इसके अपने बहुत अधिक नुकसान सामने नहीं आए हैं. जिस व्यक्ति को विदारीकंद से एलर्जी होती है, उसे यह नुकसान दे सकता है.

अधिक मात्रा में प्रयोग करने पर त्वचा पर एलर्जी जैसी समस्याएं नजर आ सकती हैं. यह जलन भी पैदा कर सकता है.

विदारीकंद एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है. इसलिए इसका प्रयोग करने से पहले आयुर्वेदाचार्य से इसकी खुराक के विषय में जानकारी लेना अत्यधिक आवश्यक है. आप तभी इसके उचित लाभ प्राप्त कर सकते हैं.

यह प्रकृति में शीतल होता है, और हमेशा दूसरी जड़ी बूटियों के साथ योग करके प्रयोग में लाया जाता है. इसलिए इस विषय में संपूर्ण जानकारी एक वैद्य को अच्छे से होती है.

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