क्या प्रेगनेंसी के दौरान झुकना चाहिए या नहीं दिखना चाहिए. इस संबंध में चर्चा करेंगे.
आज के आर्टिकल में हमारे टॉपिक हैं
क्या गर्भावस्था के दौरान झुकना सुरक्षित माना जाता है
प्रेगनेंसी के दौरान कब झुकना सुरक्षित है और कब झुकना सुरक्षित नहीं है
किसी भी स्त्री को झुकने से क्यों बचना चाहिए
अगर आप गर्भवती हैं तो आपको झुकना कैसे हैं इस संबंध में बात करेंगे
गर्भ वस्था की सही मुद्रा को कैसे बनाए रखें इस पर भी बात करेंगे
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क्या गर्भावस्था के दौरान झुकना सुरक्षित माना जाता है – Kya Pregnancy me Jhukna Safe hai
किसी भी गर्भवती स्त्री को तब तक झुकने में कोई परेशानी नहीं है जब तक उसका शिशु सुरक्षित रहता है. गर्भवती के गर्भ में एमनियोटिक द्रव होता है. जो बच्चे के लिए एक गद्दे का कार्य करता है.
अगर आपके झुकने में आपका शिशु सुरक्षित रहता है, तो झुकने में कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन जैसे-जैसे गर्भावस्था बढ़ती जाती है शिशु का आकार बढ़ता जाता है, और आप बार-बार झुकने में सावधानी नहीं रखती है, तो इससे असमय प्रसव का खतरा बढ़ जाता है.
ऐसा भी नहीं है कि एक प्रकार से झुकने पर सभी महिलाओं को दिक्कत होती है किसी महिलाओं को किसी प्रकार झुकने से दिक्कत होती है किसी महिलाओं को अलग प्रकार से झुकने में दिक्कत होती है यह महिला की गर्भ अवस्था पर निर्भर करता है.
अगर आपको यह जानना है कि आपको झुकना है या नहीं झुकना है तो इसका सटीक जवाब आपको आपके डॉक्टर से ही मिल पाएगा क्योंकि वह आपकी प्रेगनेंसी के बारे में सब कुछ जानता है.
प्रेगनेंसी में कब झुकना सुरक्षित है और कब नहीं – Pregnancy me Jhukna Kab Safe hai
पहली तिमाही – pregnancy first trimester
जहां तक दोस्तों पहली तिमाही का सवाल है तो उस वक्त तक महिला का शरीर काफी लचीला रहता है, झुकने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है. भ्रूण का आकार भी अभी छोटा होता है, तो दिक्कत नहीं आती है. महिला आसानी से झुक सकती है. बस इस बात का ध्यान रखें. आराम से झुके और कोई भारी चीज ना उठाएं. झटके से उठना बैठना भी आप को ध्यान में रखना है. आराम से उठे, आराम से बैठे और जरूरत पड़ने पर ही झुके वह भी आराम से.
दूसरी तिमाही – pregnancy Second trimester
दूसरी तिमाही जैसे जैसे आने लगती है वैसे वैसे महिला का शरीर बढ़ने लगता है. पेट भी हल्का सा बाहर आने लगता है. उठने बैठने में थोड़ी सी तकलीफ महसूस होने लगती है. आपके लिए बेहतर है कि आप झुकने वाला काम ना करें. अगर आपका काम का नेचर ही ऐसा है तो अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें.
तीसरी तिमाही – pregnancy third trimester
प्रेगनेंसी की तीसरी तिमाही के अंदर शिशु का विकास काफी तेजी से होता है. पेट भी लगभग बाहर आ चुका होता है. दिखाई पड़ता है. इस वक्त झुकने में अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है. इस दौरान थकावट, काम ना करने की इच्छा काफी ज्यादा रहती है. कमजोरी होती है. इस स्थिति में अगर महिला झुकती है तो उसे चक्कर आ सकते हैं. और शरीर बेडौल हो जाता है, तो गिरने का डर भी रहता है. इसकी वजह से गर्भस्थ शिशु को चोट लगने का डर रहता है, और भी दूसरे करके कई खतरे रहते हैं तो तीसरे दिन में जितना हो सके झुकने से बचे, बिल्कुल भी ना झुके. इस दौरान सीढियां चढ़ाने से भी बचे.
गर्भावस्था में झुकने से क्यों बचें – Pregnancy me Jhukne se Kyo Bache
पेट का आकार बढ़ जाता है जिसकी वजह से संतुलन खराब हो जाता है और गिरने का डर बना रहता है. यह खतरा तीसरी तिमाही में सबसे ज्यादा होता है, क्योंकि इस दौरान शिशु का सिर नीचे पेल्विक की तरफ होता है.
आगे की ओर झुकने से रक्त प्रवाह रक्त का संचार बढ़ जाता है जिसकी वजह से चक्कर आने का खतरा हो जाता है चक्कर आने पर आप गिर भी सकते हैं गर्भपात का खतरा हो सकता है.
अक्सर अधिक वजन का दबाव होने से पीठ दर्द बना रहता है अगर आप आगे की तरफ झुकती है तो पीठ पर अतिरिक्त दबाव आ जाता है जिसकी वजह से दर्द में बढ़ोतरी हो सकती है.
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गर्भवती होने पर कैसे झुकें – Pregnancy me Kaise Jhuke
आगे की तरफ सीधे झुकने की बजाय आप किसी चीज का सहारा लेकर घुटनों को मोड़ कर बैठे तो ज्यादा अच्छा रहता है.
उठते वक्त आप को एकदम से झटके के साथ नहीं उठना है आपको किसी मजबूत और ठोस चीज का सहारा लेते हुए हाथ से उसे पकड़ते हुए तथा दूसरे हाथ को अपने शरीर का सहारा लेते हुए जैसे कि पैर या जंघा का सहारा लेते हुए उठना है.
अगर आपको किसी कारणवश उठने या बैठने में ज्यादा दिक्कत हो रही है तो आप बिना संकोच दूसरे व्यक्ति का सहारा लें.
एक बात का विशेष ध्यान रखें आप किसी भी चलने वाली कुर्सी पर बैठने से बचें क्योंकि इनका बैलेंस सही नहीं होता है.
आपको अपने रोजमर्रा के कार्य को करते समय भी सावधानी रखने की आवश्यकता होगी ऐसा किसी भी प्रकार का कार्य करने से बचे जिसमें आपको गिरने की आशंका हो अर्थात जरा सा भी बैलेंस बिगड़ने की आशंका हो तो ना करें.
आपको बैठते वक्त भी ऐसी कुर्सी का चुनाव करना है जो मजबूत हो जो आपकी कमर को अच्छे से सहारा दे सके.
आपको एक मुद्रा में लगातार नहीं रहना है अपनी मुद्राएं बदलते रहना है .
आपको चलते समय फिसलन भरे फर्श पर चलने से बचना है.
ऐसी चप्पल पहनने से बचना है जिसमें फिसलन हो.