प्रेगनेंसी में कौन सी चाय फायदा करती है कौन सी चाय नुकसान

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हम चाय पीने को लेकर चर्चा कर रहे हैं इससे पहले जो हमने आपको बताया था,
कितनी चाय 1 दिन में गर्भवती स्त्री पी सकती है,
चाय के फायदे क्या है,
नुकसान क्या है,

और भी दूसरी जरूरी बातों पर चर्चा की थी.
आज चर्चा करने वाले हैं
कौन सी चाय प्रेग्नेंसी के समय पीना फायदेमंद होती हैं और
कौन सी चाय प्रेग्नेंसी के समय हमें बिल्कुल भी नहीं पीनी चाहिए.

दोस्तों आज के समय में तरह-तरह की चाय मार्केट में आ रही हैं जिनके अपने अपने अलग-अलग प्रकार के फायदे होते हैं. लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान हमें चाय को सोच समझकर ही पीना चाहिए. कौन सी चाय प्रेग्नेंसी के समय एक गर्भवती स्त्री को फायदा दे सकती है.

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लेमन बाम टी

दोस्तों गर्भावस्था के समय हारमोंस की उथल-पुथल काफी ज्यादा रहती है. जिस वजह से कंफर्ट फील नहीं होता है. गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को अगर रिलैक्स महसूस करना है, तो लेमन बाम टी पीने की सलाह दी जाती है. इस चाय को पीने से अनिद्रा की समस्या, घबराहट, चिड़चिड़ापन को दूर करने में मदद करती है.

रूइबोस (Rooibos) चाय

यह काफी पौष्टिक चाय मानी जाती है इसके अंदर उच्च मात्रा में कैल्शियम, मैग्नीशियम, जिंक, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं. यह चाय शरीर में रोग उत्पन्न करने वाले फ्री रेडिकल से शरीर को बचाती है, उन्हें नष्ट करती है. कह सकते हैं शरीर को डिटॉक्सिफाई करती है. यह आपके शरीर में आयरन के अवशोषण को भी बढ़ाती है, जिससे ब्लड बनता है. एलर्जी और संक्रमण से आपकी रक्षा करती है, आपकी immune शक्ति को बढ़ाती है.

कैमोमाइल (Chamomile) चाय

यह चाय कैल्शियम और मैग्नीशियम का काफी अच्छा स्रोत मानी जाती है. इसका सेवन करने से भरपूर मात्रा में कैल्शियम की प्राप्ति होती है. यह गर्भ शिशु और महिला दोनों की हड्डियों को मजबूत करने का कार्य करती है. इसकी सहायता से बच्चे की हड्डियों का घनत्व बढ़ाया जा सकता है. अगर किसी भी स्त्री को फूलों के पराग से, बीजों से अगर किसी भी प्रकार की एलर्जी है तो इस चाय को पीने से बचना चाहिए.

सिंहपर्णी के पत्तों की चाय

इसे डंडेलियन लीफ  टी भी कहा जाता है. इस चाय के अंदर पोटेशियम कैल्शियम और आयरन काफी अच्छी मात्रा में पाया जाता है. यह प्रेगनेंसी के अंतिम समय में शरीर में पानी के जमाव यानी कि वाटर रिटेंशन को रोकती है. हम सभी जानते हैं कैल्शियम आयरन और पोटेशियम की कितनी आवश्यकता एक गर्भवती स्त्री को होती है उसके सभी फायदे भी इससे प्राप्त होते हैं.

अदरक वाली चाय

अदरक वाली चाय पीने से मॉर्निंग सिकनेस, सर्दी की समस्या, गले में खराश की समस्या दूर होती है. आप अदरक के टुकड़ों को गर्म पानी में उबालकर शहद के साथ कर सकते हैं और दूध भी मिला सकते हैं.

नेटल टी

इस चाय के अंदर काफी सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जैसे कि मैग्नीशियम, पोटेशियम, कैल्शियम, विटामिंस और आयरन इत्यादि. इसके सेवन से गर्भवती स्त्री के स्तनों में दूध अच्छे से बनता है. डिलीवरी के बाद भी अगर इस चाय का प्रयोग किया जाए तो यह शरीर में ऊर्जा को बनाए रखने में मदद करती है. साथ ही साथ इतने सारे पोषक तत्वों के फायदे भी गर्भवती स्त्री और उसके शिशु को प्राप्त होते हैं.

पुदीने की चाय

पुदीने की चाय गर्भवतियों को होने वाली बेचैनी, उल्टी और जी-मिचलाने की समस्या को कम कर सकती है. इसके सेवन से पाचन संबंधी परेशानी भी दूर होती है, क्योंकि यह आपके पेट की मांसपेशियों को आराम पहुंचाने में मदद करती है.

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रास्पबेरी की पत्ती वाली चाय

यह चाय मैग्नीशियम, कैल्शियम और आयरन से भरपूर होती है. इस चाय में मौजूद जड़ी बूटियां गर्भाशय की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करती है. जिससे डिलीवरी के समय समय काफी कम समस्या का सामना करना पड़ता है. साथ ही साथ डिलीवरी के बाद होने वाले रक्तस्राव को रोकने में भी मदद करती है.

दोस्तों कुछ और भी प्रकार की चाय हैं जो कि प्रेगनेंसी में पीना अवॉइड करना चाहिए जिन्हें पीने से नुकसान होने की संभावना होती है

अजवाइन वाली चाय

अजवाइन वाली चाय का सेवन करने से संकुचन की संभावना बढ़ जाती है जिससे कि समय से पहले ही डिलीवरी की समस्या हो सकती है.

सौंफ

सौंफ का प्रयोग भी चाय में डालकर किया जाता है इस प्रकार की चाय को पीने से भी संकुचन की संभावना बढ़ती है पीने से समस्या हो सकती है.

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जिनसेंग (Ginseng)

इसके सेवन से उन्माद यानी मानसिक विकार को बढ़ता है.

 ग्रीन टी

आजकल जीरो कैलोरी ग्रीन टी पीने का चलन है. लेकिन इस चाय को प्रेग्नेंसी के समय बिल्कुल भी नहीं पीना चाहिए. यह फोलेट के स्तर को कम करती है , जिससे एनीमिया होने का खतरा बढ़ जाता है, और यह एक सीरियस समस्या है.

बिना दूध की काली चाय

इस चाय का सेवन भी करने से बचना चाहिए, क्योंकि इसके अंदर कैफीन की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. और कैफीन के नुकसान हम जानते ही हैं, अधिक मात्रा में कैफीन होने से यह शिशु के विकास को रोक देता है.

येलो डॉक (Yellow dock)

यह काफी ज्यादा लैक्सेटिव होता है, इसलिए प्रेगनेंसी में इसका सेवन न करने की सलाह दी जाती है.

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