नमस्कार दोस्तों आज एक मिथक जो कि हमारे समाज में काफी ज्यादा प्रचलित है उस पर हम चर्चा करने जा रहे हैं नीचे यह है कि मिथक यह है कि अगर महिला अपने कमरे में किसी सुंदर बच्चे की तस्वीर लगाती है फोटो लगाती है एक फोटो लगाती है या एक से ज्यादा फोटो लगाती है तो क्या उसका बच्चा सुंदर होगा इस पर आज हम इस वीडियो के माध्यम से चर्चा करेंगे.
हम बात करेंगे मॉडर्न साइंस क्या कहती है.
हम बात करेंगे कि ऐसा प्राचीन समय से क्यों कहां जा रहा इसके पीछे कहां तक सच्चाई है, कौन से आधार हैं.
दोस्तों यह बात हमारे समाज में काफी समय से प्रचलित है प्राचीन समय से ही इस बात पर विश्वास किया जाता है लेकिन आज की मॉडर्न साइंस क्या कहती है हमें उसे भी समझना चाहिए.
आज की मॉडर्न साइंस के अनुसार जन्म लेने वाले बच्चे का रूप रंग और आधार माता-पिता के डीएनए से ट्रांसमिट होकर बच्चे को प्राप्त होता है. ऐसे में साइंस का मानना है कि यह बात बिल्कुल निराधार है कि किसी सुंदर बच्चे की तस्वीर देखने से आपका बच्चा भी सुंदर पैदा होगा तो आज की मॉडर्न साइंस तो इस बात को फेल कर रही है मात्र एक मिथक मानती है.
अगर बच्चे के मां-बाप का रंग दबा हुआ है तो बच्चे का रंग कैसे गोरा हो सकता है यह काफी मुश्किल है क्योंकि जो डीएनए से प्राप्त होगा वही तो बच्चे को प्राप्त होगा.
इस मिथक के पीछे हमारे यहां प्रयोग में लाई जाने वाली प्राचीन साइन है. इसे आज के समय में मॉडर्न साइंस कहा जाता है.
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व्यक्ति के आचार विचार, सोच और समझ, साथ ही साथ व्यक्ति का रंग, व्यक्ति का ढांचा, व्यक्ति का स्वास्थ्य, रोग भी बच्चे को ट्रांसमिट होते हैं. हमारे जो भी आचार विचार होते हैं सोच समझ होती है इच्छाएं होती हैं उसकी एक-एक कॉपी हमारे डीएनए में सुरक्षित होती जाती है और वही बच्चे को आगे प्राप्त होती है.
तो आज के समय साइंस के अनुसार तो यह संभव नहीं है कि बच्चे की तस्वीर देखने से कुछ होने वाला है.
अब बात करते हैं अत्याधुनिक मॉडर्न साइंस की जिस पर रिसर्च चल रही है, या फिर हमारी प्राचीन साइंस की.
इस पर हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा लिखी गई पुस्तकें या वर्तमान में संतों द्वारा लिखी गई पुस्तकों की, जिनमें से एक दो पुस्तकें मैंने भी प ढ़ी है और वह आज के समय रिसर्च का भी हिस्सा है.
हमारे योगा में मस्तिष्क को सुप्रीम पावर कहा गया है और माना जाता है कि इसमें किसी भी चीज को क्रिएट करने की शक्ति होती है. अगर आप किसी चीज पर विश्वास करते हो तो वह आपके लिए फलीभूत हो जाती है. आपका मस्तिष्क अर्थात दिमाग इतना पावरफुल होता है कि वह आपके शरीर से बाहर भी चीजों को कंट्रोल करने की क्षमता रखता है. यह कार्य अपनी ऊर्जा के माध्यम से कर सकता है.
बस वह कार्य इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी मानसिक ऊर्जा कितनी मजबूत है और आप किसी बात पर किस हद तक विश्वास करते हैं. कुल मिलाकर आपको उस बात पर विश्वास करके अपने मस्तिष्क को को यह बतलाना है कि उसे वह चाहिए. और वह उस कार्य को आपके लिए करके देखा देगा.
जब कोई भी महिला इस बात पर विश्वास करती है की सुंदर बच्चे की तस्वीर को देखने से उसे भी सुंदर बच्चा होगा. सुंदर बच्चे की तस्वीर लगाने का उद्देश्य मात्र इतना होता है कि यह बात उसे याद रहे और वह इस बात पर विश्वास करने लगे.
तो वह अनजाने में कहीं ना कहीं इस बात का आदेश बार-बार अपने मस्तिष्क को दे रहे होती है कि उसे सुंदर बच्चा चाहिए. उसे इस बात पर जितना ज्यादा विश्वास होता है उसका मस्तिष्क उसके लिए वह कार्य उतना ज्यादा करता है.
हालांकि जब जब उसे यह लगता है या कोई उससे कहता है कि ऐसा नहीं होता है और उसका विश्वास कम होता है तो फिर मस्तिष्क उसके लिए उतना ही कम कार्य करने लगता है. और अक्सर ऐसा ही होता है और बच्चे की तस्वीर लगाना काम नहीं करता है.
मॉडर्न साइंस में अभी यह विषय रिसर्च का विषय है इसलिए इसे नहीं मानता है और वह इसे एडवांस साइंस के नाम से भी जानते हैं.
इसमें सबसे ज्यादा इंपॉर्टेंट आपका विश्वास होता है और आपका आपके मस्तिष्क को यह विश्वास दिलाना कि आपको वह चाहिए. कहीं ना कहीं सभी धर्म भी इसी आधार पर कार्य करते हैं.
आम लोगों की तुलना में एक योगी इस कार्य को बड़ी कुशलता से कर लेते हैं.
हालांकि ऐसा भी नहीं होगा कि किसी भी बच्चे के मां बाप बिल्कुल काले रंग के हैं और वह इस बात पर विश्वास करें कि उनके यहां गोरा बच्चा पैदा होगा तो ऐसा भी नहीं होगा.
हां बच्चे में इस क्रिया को अपनाने के बाद कुछ ना कुछ फर्क जरूर नजर आएगा. लेकिन इतना भी फर्क नजर नहीं आएगा कि बिल्कुल जादू सा हो जाए. तुलनात्मक दृष्टि से बच्चे के फीचर्स अच्छे होंगे.
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तो कुल मिलाकर किसी भी गर्भवती महिला को अपने कमरे में किसी सुंदर बच्चे की तस्वीर लगाकर यह मानना कि उसके यहां भी सुंदर बच्चा पैदा होगा किसी भी प्रकार से गलत नहीं है अगर महिला इसका फायदा नहीं उठा पाए तो नुकसान कुछ नहीं, एक पॉजिटिविटी आने से हमेशा फायदा ही होता है.
विज्ञान पर भरोसा करना गलत नहीं बता रहे, अभी हमारा विज्ञान उतना विकसित नहीं हुआ है कि हर चीज जानता हो. अभी विकास के लिए बहुत कुछ है.