हम एक विशेष टॉपिक गोंद के लड्डू पर चर्चा करने जा रहे हैं. दोस्तों यहां पर दो चीजें हमारे सामने हैं, एक है गोंद, एक है, गोंद कतीरा . हम लोग क्या समझते हैं कि दोनों को एक ही चीज हैं दोनों में बहुत बड़ा बेसिक अंतर है.
हालांकि दोनों एक ही वस्तु से तैयार होती है. लेकिन दोनों के गुणधर्म और तासीर में जमीन आसमान का अंतर होता है. इनमें से एक चीज प्रेग्नेंसी के समय खाई जा सकती है, और एक चीज प्रसव के बाद खाई जाती है.
दोनों बहुत पौष्टिक चीजें है लेकिन तभी जब वह अपनी सही समय पर खाए जाएं.
हम आपको बता दें गोंद और गोंद कतीरा की न्यूट्रिशन वैल्यू लगभग एक जैसी ही होती है. लाभ भी एक जैसे होते हैं, बस इनकी प्रकृति में अंतर होता है उनकी तासीर में अंतर होता है.
यह चर्चा करते हैं
क्या प्रसव के बाद गोंद के लड्डू सुरक्षित होते हैं
प्रसव के बाद महिला को गोंद के लड्डू का सेवन करना बताया जाता है, लेकिन इन्हें सीमित मात्रा में ही प्रयोग में लाना चाहिए. प्रसव के बाद गर्म तासीर के भोजन खाने की सलाह दी जाती है. गोंद के लड्डू एक गर्म तासीर का भोजन है, तो यह खाना फायदेमंद होता है.
लेकिन अधिक खाना नहीं चाहिए कम से कम 1,2 लड्डू आप दिन में ले सकते हैं. लेकिन लड्डू किस प्रकार से बने हैं. उसमें क्या-क्या सामग्री है. यह भी काफी ध्यान रखने वाली बात होती है. जिस पर हम बाद में चर्चा करेंगे.
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क्या गर्भावस्था के दौरान गोंद के लड्डू सुरक्षित हैं
जैसा कि हमने अभी चर्चा की है, कि गोंद के लड्डू की तासीर गर्म होती है. तो प्रेगनेंसी के दौरान गर्म तासीर वाले भोजन नहीं खाए जाते हैं. गर्म तासीर वाले भोजन डिलीवरी के बाद खाए जाते हैं. महिलाओं को गोंद के लड्डू प्रेगनेंसी के दौरान नहीं खाने चाहिए.
वैसे यह बात काफी हद तक महिला के शरीर और उसकी आवश्यकता ऊपर निर्भर करती है. किसी किसी महिला को यह सूट कर जाते हैं. किसी किसी को नहीं भी करते हैं. तो ऐसे में रिस्क लेने की आवश्यकता नहीं है आप ना खाएं.
गोंद के लड्डू की पोजीशन वैल्यू न्यूट्रिशन वैल्यू
गोंद के लड्डू काफी पौष्टिक खाद्य पदार्थों से बने होते हैं. जिनकी चर्चा भी हम करेंगे. इसलिए इनकी न्यूट्रिशन वैल्यू काफी स्ट्रांग होती है. इसके अंदर आपको कैलोरी मिलेगी, कार्बोहाइड्रेट मिलेगा, फाइबर, शुगर, प्रोटीन, वसा इसके अंदर होते हैं
खनिज पदार्थों की बात करें तो उसके अंदर पोटेशियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, सोडियम, जिंक, आयरन और कैल्शियम भी अच्छी मात्रा में होता है
काफी सारे विटामिन गोंद के लड्डू में पाए जाते हैं जैसे कि इसके अंदर आपको विटामिन के, विटामिन ई, विटामिन डी, विटामिन ए, विटामिन B1,2 विटामिन बी सिक्स, फॉलेट, नियासिन, थायमिन, राइबोफ्लेविन और विटामिन सी प्राप्त होगा.
गोंद और गोंद कतीरा में अंतर
गोंद और गोंद कतीरा में अंतर असल में महिला इन दोनों में अंतर नहीं जानती है, और काफी कन्फ्यूज रहती है.
आज आपको हम बड़े काम की बात बता रहे हैं. गोंद तासीर में गर्म होता है और गोंद कतीरा तासीर में ठंडा होता है. इसलिए गोंद प्रसव के बाद प्रयोग में लाया जाता है. जबकि गोंद कतीरा ठंडी प्रकृति के कारण प्रेगनेंसी में भी प्रयोग में लाया जा सकता है. गोंद कतीरा का प्रयोग गर्मियों में और गोंद का प्रयोग विंटर सीजन में किया जाता है.
दोनों में कुछ बुनियादी अंतर है. जिससे आप इन्हें पहचान कर सकें. गोंद पानी में घुल जाता है जबकि गोंद कतीरा पानी में घुलता नहीं है बल्कि उसे सोख कर फूल जाता है.
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क्या गर्भावस्था के दौरान गोंद कतीरा सुरक्षित है?
गोंद कतीरा का प्रयोग लड्डुओं में भारत में काफी प्राचीन समय से होता आ रहा है. माना जाता है कि मां और उसके बच्चे के स्वास्थ्य के लिए यह फायदेमंद होता है. गोंद कतीरा का उपयोग आयुर्वेदिक दवा बनाने में भी काफी व्यापक रूप से होता है.
गोंद कतीरा कब खाना चाहिए
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कमजोरी महसूस होती है. तब उस अवस्था में गोंद कतीरा के लड्डू ताकत देने में मदद करते हैं.
प्रेगनेंसी के बाद गोंद के लड्डू अर्थात प्रसव के बाद गोंद के लड्डू शारीरिक समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं.
इन दोनों खाद्य पदार्थों के बारे में कोई मेडिकल रिसर्च उपलब्ध नहीं है. इसलिए इनका सेवन करने से पहले डॉक्टर से परामर्श कर ले अगर आपको किसी प्रकार की समस्या है तो.
समाज में वैसे भारतीय समाज में विभिन्न प्रकार की मान्यता या हमारे आयुर्वेद में जिस प्रकार की मान्यता है वह हमने आपके सामने प्रस्तुत की है.
गोंद कतीरा खाने के नुकसान
गोंद कतीरा की तासीर ठंडी होती है. इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान इसे खाना फायदेमंद है.
लेकिन डिलीवरी के बाद इसे खाने से महिला को नुकसान होने का डर रहता है.
क्योंकि प्रेगनेंसी के 40 दिनों तक महिला के शरीर को गर्म तासीर का भोजन खाना चाहिए. शरीर को गर्म रखने की आवश्यकता होती है. लेकिन गोंद कतीरा अपनी ठंडी तासीर की वजह से महिला के शरीर को कमजोर करता है, जो भविष्य में जाकर शरीर को काफी ज्यादा नुकसान पहुंचाती है.
गोंद कतीरा कैसे खाएं
गोंद कतीरा पोषक तत्व का खजाना माना जाता है. इसके अंदर प्रोटीन और फोलिक एसिड प्रचुर मात्रा में होता है. साथ ही साथ दूसरे पोषक तत्व भी इसके अंदर भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. गोंद कतीरा के लड्डू बनाकर इसका प्रयोग रोजाना किया जा सकता है.
साथ ही साथ 15 से 20 ग्राम गोंद कतीरा को एक गिलास पानी में रात को भिगोकर रख दें या दूध में भिगोकर रख दें, और सुबह चीनी या मिश्री के साथ इसका शरबत बनाकर पी ले.
आप गोंद कतीरा का प्रयोग लगभग 40 दिन तक लगातार कर सकते हैं उसके कुछ दिन बाद छोड़कर आप दोबारा से इसका प्रयोग आगे इसी प्रकार से कर सकते हैं.
गोंद के लड्डू की रेसिपी
इसके बारे में आप यूट्यूब पर सर्च करें तो आपको गोंद के लड्डू की रेसिपी प्राप्त हो जाएगा.
लेकिन इसमें कौन कौन से खाद्य पदार्थ किस किस तरह से शामिल करने हैं उसकी लिस्ट हम यहां आपको दे रहे हैं.
आपकी स्क्रीन पर सामग्री नजर आ रही है
75 ग्राम पिसी हुई गोंद
250 ग्राम पिसा हुआ छुहारा
250 ग्राम बारीक गुड़
250 ग्राम सूखा पिसा हुआ नारियल
250 ग्राम घी
15 ग्राम मेथी दाना
25 ग्राम खसखस
25 ग्राम इलायची
25 ग्राम जैतून के बीज
25 ग्राम सौंफ
75 ग्राम बादाम
1 जायफल
बनाने का तरीका
• बादाम, जायफल, मेथी दाना, सौंफ, जैतून के बीज, छुहारा, खसखस, इलाइची और सूखे नारियल को हल्का भूरा होने तक भून लें.
• इसके बाद सभी सामग्रियों को ब्लेंडर में पीसकर पाउडर बना लें.
• कड़ाही में एक छोटा चम्मच घी डालें और गर्म होने पर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में गोंद डालकर तब तक पकाएं, जब तक कि यह फूल न जाए.
• इसके बाद कड़ाही में 1 बड़ा चम्मच घी डालें। घी गर्म होने पर इसमें गुड़ डालें और उसे अच्छे से पिघला लें.
• इस पिघले हुए गुड़ व गोंद में मिश्रित पाउडर को मिक्स कर लें.
• फिर हथेलियों पर घी लगाकर लड्डू बनाएं.
• इन लड्डूओं को कई दिनों तक एयरटाइट कंटेनर में स्टोर करके रखा जा सकता है.
गोंद कतीरा के लड्डू रेसिपी में आपको गोंद के स्थान पर गोंद कतीरा का प्रयोग करना है. {alertInfo}
आइए, अब जानते हैं कि प्रसव के बाद गाेंद के लड्डू किस प्रकार फायदेमंद होते हैं.
गोंद के लड्डू के फायदे और नुकसान
गोंद के लड्डू खाने के फायदे और नुकसान दोनों ही हो सकते हैं. यह परिस्थिति पर निर्भर करता है, कि किस परिस्थिति में यह फायदा करते हैं, और किस परिस्थिति में नुकसान करते हैं.
गोंद की तासीर गर्म होती है. इसलिए यह प्रेगनेंसी में खाने पर प्रेगनेंसी को नुकसान पहुंचा सकते हैं. गर्भपात का कारण बन सकते हैं.
लेकिन बच्चे की डिलीवरी के बाद यह बहुत अधिक फायदा देते हैं.
गोंद के लड्डू खाने के फायदे
गोंद के लड्डू खाने के काफी सारे फायदे एक नवजात माता को हो सकते हैं. —
- गोंद के लड्डू हड्डियों के लिए बहुत लाभदायक होते हैं.
- गोंद के लड्डू खाने से इम्यूनिटी मजबूत होती है.
- गोंद के लड्डू एनीमिया की शिकायत को दूर कर सकते हैं
- मानसिक स्वास्थ्य को मजबूती प्रदान करते हैं
- कब्ज को दूर करने में सहायता करते हैं
- यह जोड़ों के दर्द में राहत देने का कार्य करते हैं
- गोंद का लड्डू लगातार प्रयोग करने से या दूध के साथ इसका प्रयोग करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है.
- हार्ट की बीमारियों को कम करने में लाभदायक है
- यह मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है
- जन्म के बाद नवजात माता को गोंद के लड्डू खिलाए जाते हैं जो उसके शरीर को एनर्जी और ताकत प्रदान करते हैं.
प्रसव के बाद गोंद के लड्डू के फायदे
- प्रोटीन
और कैल्शियम से भरे हुए गोंद के लड्डू में और भी कई सारे पोषक तत्व होते
हैं जिनके हमने चर्चा की है इसलिए यह कई प्रकार के लाभ देते हैं. - किशमिश
की और अन्य कई प्रकार के ड्राई फ्रूट से बने गोंद के लड्डू काफी ज्यादा
कैलोरी वाले होते हैं. जो नवजात की माता को काफी सारे पोषक तत्व और एनर्जी
प्रदान करते हैं जो मां के लिए काफी आवश्यक और शिशु के लिए भी काफी आवश्यक
होती है. - प्रसव के बाद होने वाले मासिक धर्म में रक्त स्राव की अनियमितता को रोकने में यह काफी मदद करते हैं.
- गोंद
के लड्डू के सेवन से विटामिन डी मिलता है. इसके कारण यूरिन से जुड़ी हुई
समस्याएं काफी हद तक कम हो जाती है. अगर बवासीर हो तो यह उसमें भी काफी
फायदा करता है. - प्रेगनेंसी के बाद महिला को उसकी रीड की हड्डी में पेट में होने वाले दर्द में यह लड्डू काफी राहत प्रदान करते हैं.
- लड्डू का सेवन करने से कमजोरी और थकान दूर होती है. साथी साथ स्तनपान करने वाले शिशु को भी माता के द्वारा लाभ प्राप्त होता है .
- यह मानसिक तनाव को भी दूर करने में काफी मदद करता है.
गोंद खाने के नुकसान
गोंद या गोंद के लड्डू काफी फायदेमंद होते हैं, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में यह नुकसान भी दे सकते हैं.
अगर इनका सेवन अधिक कर लिया जाए तो यह पेट खराब कर सकते हैं. पेट में दर्द हो सकता है. आपको बार-बार बाथरूम जाने जाने की आवश्यकता हो सकती है.
कुछ लोगों को इस से एलर्जी की समस्या हो सकती है.
अधिक प्रयोग करने पर सांस में तकलीफ, जी मिचलाना और
गर्भावस्था के दौरान गर्भपात या विभिन्न प्रकार की प्रेगनेंसी से संबंधित जटिलताएं पैदा हो सकती है.