कोरोना काल में जन्म लेने वाले बच्चों का ध्यान कैसे रखें | How to take care of children born in the Corona period

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अगर गर्भवती महिला ने इन दिनों जबकि कोविड-19 चल रहा है, ऐसे में गर्भस्थ ऐसे में किसी बच्चे को जन्म दिया है, तो उसे किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. साथ ही साथ यह टिप्स उनके परिवार वालों के लिए भी है. आइए चर्चा करते हैं.

दोस्तों एक समय हुआ करता था जब बच्चों का जन्म घर पर ही दाई की मदद से हुआ करता था. लेकिन अब वह समय नहीं है. आजकल हर एक परिवार बच्चे के जन्म के लिए हॉस्पिटल पहुंचता है. और भारत में डेडीकेटेड डॉक्टर और डेडीकेटेड अस्पताल बच्चों के जन्म से संबंधित सुविधाओं के साथ उपलब्ध भी हैं.

लेकिन आजकल कोरोनावायरस के कारण सोशल डिस्टेंसिंग अत्यधिक आवश्यक हो गई है. इस वजह से अस्पताल में बच्चे का जन्म होना एक मुसीबत के समान ही नजर आ रहा है. लेकिन अगर बच्चे का जन्म होना है, तो अस्पताल तो जाना ही होगा. ऐसे में महिला को और परिवार को कुछ विशेष बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए . यह सब पॉइंट आपको कोरोनावायरस को ध्यान में रखकर एग्जीक्यूट करने हैं.

कोरोना काल में जन्म लेने वाले बच्चों का ध्यान कैसे रखें | How to take care of children born in the Corona period

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  • महिला को और नवजात शिशु को कुछ समय के लिए इमरजेंसी वार्ड में रखा जाता है. यह दोनों की सुरक्षा और देखभाल को ध्यान में रखते हुए रखा जाता है. लेकिन यह आपको सुनिश्चित करना है कि, क्या आपको एमरजैंसी वार्ड में भर्ती होने की आवश्यकता है. क्योंकि इमरजेंसी वार्ड अपने आप में काफी मरीजों से भरा होता है.
  • इस पर विचार जरूर करें, क्या आपको इमरजेंसी वार्ड में भर्ती होने की आवश्यकता है या नहीं है.
  • अगर आपको लगता है कि आप बच्चे के जन्म के कुछ समय बाद घर जा सकते हैं. आप सुरक्षित हैं, आपका बच्चा सुरक्षित है, तो आपको डॉक्टर से संबंधित बात करनी चाहिए, और तुरंत घर की तरफ रवाना होना चाहिए.
  • अगर आपको अस्पताल में रुकना पड़ रहा है तो फिर आपके लिए और आपके नवजात बच्चे के लिए एक अलग रूम की व्यवस्था अत्यधिक आवश्यक हैं.
  • अपनी खुशी पर थोड़ा कंट्रोल रखें. बिना वजह आस पड़ोस वालों को और रिश्तेदारों को इसकी सूचना नहीं दे.
  • आपको इस बात को भी सुनिश्चित करना है, कि आपने जिन जिन व्यक्ति को अपनी इस खुशी के बारे में बताया है. वह अस्पताल नहीं आए. उन्हें आने के लिए स्पष्ट मना करें.
  • अस्पताल में कम से कम व्यक्ति होने चाहिए.
  • नवजात माता और नवजात शिशु जिस भी बाथरुम का इस्तेमाल करते हैं. अन्य व्यक्ति उसका इस्तेमाल नहीं करें.
  • माता को भी चाहिए कि वह सैनिटाइज करके अपने बच्चे को छुए.  तो इसका मतलब यह स्पष्ट है कि वह व्यक्ति जो नवजात माता और बच्चे के साथ है. उसे बच्चे को बिल्कुल नहीं छुना है.  क्योंकि वह बाहर के कार्य देख रहा है.
  • कोशिश करें, कि वह व्यक्ति उन दोनों के कमरे में भी नहीं आए तो अच्छा है.  वह भी सैनिटाइजेशन का प्रॉपर ध्यान रखें.

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नवजात शिशु की माता को भी कुछ विशेष बातों का ध्यान रखने की आवश्यकता होती है जो कुछ इस प्रकार से है.

  • माता को भी चाहिए कि वह हमेशा मास्क पहन कर रखें.
  •  सांस लेने में उसे हाइजीन नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए.
  • नवजात शिशु को उठाने से पहले, छूने से पहले, या बाहर से आने के बाद, नियमित रूप से माता को अपने हाथों की सफाई करना अत्यधिक आवश्यक है.
  •  जब बच्चे को लेकर घर के दूसरे हिस्से में या अस्पताल जाने की आवश्यकता पड़े, तो उस वक्त भी साफ सफाई का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है.
  •  सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते रहें.
  • परिवार में , बच्चे के लिए और माता के लिए ऐसे सैनिटाइजर का इस्तेमाल आवश्यक है जो बच्चों के लिए सुरक्षित हो.
  • अगर माता को खांसी जुखाम की समस्या है तो माता को स्तनपान कराते समय मास्क अवश्य लगाना चाहिए.
  • घर के, परिवार के दूसरे सदस्य को बच्चे के और नवजात माता के कमरे में कम से कम आना चाहिए, नहीं आए तो ज्यादा अच्छा है.
  • मेहमानों को और आस-पड़ोस के दूसरे सदस्यों को अपने घर में बिल्कुल भी आमंत्रित नहीं करें.

और भी बहुत सारी छोटी-छोटी बातें हो सकती है, जो स्पेशली आपके नजरिए से, आपकी परिस्थिति के अनुसार आवश्यक हो तो आप उनका भी ध्यान रखें.

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